कोर्स 03 : गतिविधि 2 - अपने विचार साझा करें

 हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की क्या भूमिका है? क्या वे सीखने में मदद करते हैं? क्या माध्यमिक स्तर के शिक्षार्थियों में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास और अभ्यास में शिक्षक भूमिका निभाते हैं? अपनी समझ साझा करें।

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  1. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों

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    1. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही समाज में हमारा व्यक्तित्व और समाज से हमारे व्वहार व प्रतिक्रिया को तय करते हैं। शिक्षकों के लिए छात्रों को यह नैतिक संबल देना आवश्यक है क्यों कि इसी के आधार पर छात्रों के व्यक्तित्व बनने मे सहायता मिलती है ।

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    2. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महती भूमिका है । इसी के कारण व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है और एक निश्चित स्थान भी बनाता है । व्यक्ति की पहचान उनके अपने गुणों के कारण ही होता है ।

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    3. हमारे दैनिक जीवन मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महती भूमिका होती है जिससे वह समाज में रहने योग्य बनते है और समाज का विकास करते है।

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    4. समाज में रहने के लिए कुछ नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है नैतिक मूल्यों का व्यक्तिगत विकास ही समाज की दिशा को निर्धारित करता है और एक उन्नत समाज का निर्माण करता है

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    5. शिक्षक बच्चों में नैतिक गुणों का विकास उनके साथ खेलकर,उन्हें खेलों में भाग लेने के अवसर प्रदान करके,जिम्मेदारी उठाने के अवसर प्रदान करके कर सकता है। इस तरह बच्चों में सामाजिक गुणों को विकसित किया जा सकता है

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    6. एक अच्छे समाज के निर्माण लिए व्यक्ति में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों अधिकाधिक विकास जरूरी हैं।

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    7. कल्लू प्रसाद प्रजापति २४/८/२०२१। व्यक्ति के सामाजिक गुण हो व्यक्ति को समाज में स्थान दिलाते हैं

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    8. A person's social-personal qualities play an important role to establish well in society.Morally one is judged by his/her qualities and these good qualities make him/her ideal for others.A teacher plays a vital role in developing these good qualities in his/her students at secondary level of education.

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    9. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे समाज मे रहने के लिए सामाजिक होना अति आवश्यक होता है। सामाजिक एवम व्यक्तिगत गुणों का विकास समाज मे रहकर सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं के सामाजिक एवम व्यक्तिगत गुणों का विकास करना पड़ता है। विद्यालय भी एक सामाजिक संस्था है जो छात्रों को बाहरी संसार मे जीवन जीने के लिए विद्यालय स्तर पर सामाजिक एवम व्यक्तिगत गुणों को विकसित करने का दायितव शिक्षक का ही होता है।

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    10. हमारे दैनिक जीवन मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महती भूमिका होती है जिससे वह समाज में रहने योग्य बनते है और समाज का विकास करते है।


      Unknown

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  2. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही व्यक्ति को समाज में एक स्थान प्रदान कराता है

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    1. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही व्यक्ति को समाज में एक स्थान प्रदान कराता है

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  3. जब इच्छा के अनुरूप सफलता मिलती है, तब जो भाव मन से ब्यक्त होता है वह खुशी है।।

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    1. ख़ुशी जीवन का वह पल होता है जो आत्मिक अनुभूति प्रदान करता है।

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  4. हमारा दैनिक जीवन हमको कई बातें सिखाता है हमें कई लोगों से व्यवहार करना पड़ता है और सभी से हमको मदद मिलती है दूधवाला , नाई, धोबी . टेक्सी वाला आदि ऐसे कई लोग इसक उदाहरण है और इनसे सम्पर्क और अंतर्क्रिया से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है इसलिए स्वच्छ सामाजिक वातावरण हमारे लिए ,शिक्षक और छात्रों सभी के लिए अति आवश्यक है

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    1. हमारा दैनिक जीवन हमें समाज मे किस तरह सामंजस्य के साथ जीवन जीना है इसकी राह दिखाता है।हर परिस्थिति एक समान नही होती यह सिखाता है।एक दूसरे का एक दूसरे से कितना गहरा संबंध होता है यह बताता है।

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  5. दूसरों की भावनाओं को समझना जरूरी है

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  6. माध्यमिक स्तर के शिक्षार्थियों में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास और अभ्यास में शिक्षक की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  7. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक ढंग से दिशा प्रदान करते हैं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में शिक्षक इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है विद्यालय का परिवेश एवं बाहरी कारको में उचित सामंजस्य जिससे की स्थापना करके शिक्षक विद्यार्थियों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकता है एवं योग्य तथा कुशल नागरिक के रूप में विद्यार्थियों को तैयार कर सकता है स्वस्थ परिवेश में विद्यार्थी का अधिगम निश्चित रूप से इन गुणों के कारण सकारात्मक ढंग से सही दिशा की ओर ले जाया जा सकता है

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  8. हमारा दैनिक जीवन हमको कई बातें सिखाता है हमें कई लोगों से व्यवहार करना पड़ता है और सभी से हमको मदद मिलती है दूधवाला , नाई, धोबी . टेक्सी वाला आदि ऐसे कई लोग इसक उदाहरण है और इनसे सम्पर्क और अंतर्क्रिया से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है इसलिए स्वच्छ सामाजिक वातावरण हमारे लिए ,शिक्षक और छात्रों सभी के लिए अति आवश्यक

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  9. व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमे समाज मे अपने क्षेत्र में रह रहे हमारे से भिन्न संस्कृति भिन्न जाति अथवा अन्य प्रकार की भिन्नता लिए हुए लोगो के साथ संवाद स्थापित करने उन्हें सुनने उनके वैचारिक दृष्टिकोण का सम्मान करने का तरीका सिखाते है ये हमे सिखाते है कि हमें अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करना है साथ ही ये गुण हमारे व्यवहार को भी नियंत्रित करते है जैसे क्रोध आना हमारा व्यक्तिगत गुण है जो यह दर्शाता है को क्रोध की वजह हमारे हिसाब से सही रूप में नही है एक शिक्षक छात्रों से संवाद स्थापित कर संयमित व्यवहार कर उनकी समस्याओं और समाधान में शामिल होकर इन गुणों को नई सोच और व्यवहार नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है

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  10. सामाजिक गुणों का सार्वभौमिक महत्व है इसमें कोई संदेह नहीं है व्यक्ति एक आदर्श नागरिक तभी बनता है जब उसके अंदर सदाचार हो मित्रता हो दया करुणा त्याग सहानुभूतिसहयोग की भावनासहयोग की भावना संवेदनशीलता मानवता कर्तव्य निष्ठा पर्व का जूता जैसे आधारभूतसामाजिक और नैतिक गुण हैं जो हमारे समाज को एक गतिशील प्राविधिक समाज बनाते हैं
    शिक्षा में वह सामर्थ्य है जो इन गुणों को विकसित करने में सहयोग कर सकती है इसके लिए कर्तव्य निष्ठा और आदर्श जो कि हमारे महापुरुषों से में प्राप्त होते हैं हमारे अंदर निहित होने चाहिए बच्चा जब स्कूल में आता है हमारा नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम उसके व्यक्तित्व को विकसित होने मेंअपनी पूर्ण क्षमता का प्रयोग करें इसके लिए हमें उन गुणों के आदर्श स्वयं प्रस्तुत करने होंगेजब खेलें तो उनके साथ खेलना जब वह पढ़ाई करें तो उनके साथ निरंतर उनका सहयोग करना जब वह कोई मंचन करें तो उनकी प्रशंसा करना जब कोई ऐसा कार्य करें कि जिसमें त्याग झलकता हो तो उसकी प्रशंसा करना और उन्हें महापुरुषों के जीवन की विशेषताओं से अवगत कराना उनके सामाजिक गुणों में वृद्धि करेगा जोकि उनके जीवन में बहुत ही प्रभावशाली भूमिका निभाएंगे एक आदर्श शिक्षक होने के नाते मेरा ऐसा निरंतर प्रयास बना रहता है

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  11. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण हर क्षेत्र के लिए अत्यावश्यक हैं।इसकी अनुपस्थिति में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। छात्र- छात्राएं ये गुण अपने परिवार ,समाज और विद्यालय से सीखते हैं ।

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  12. Mamta Yadav GSS UNCHHPUR
    एक व्यक्ति विशेष में सामाजिक गुण होने के कारण ही अपने समाज और विद्यालयी परिवेश में अलग छवि स्थापित कर सकता है। हर इन्सान व्यक्तिगत सामाजिक गुण आस पास के परिवेश में ही रह कर सीखता है जैसे,घर में माता पिता से,समाज में मित्र आदि से और विद्यालय में अध्यापक से सीखता है।

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  13. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण होना अत्यावश्यक है।

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  14. Covid 19 काल में विद्यार्थियो के सम्पर्क में रहकर smile -3.0 के द्वारा Homework दिया गया और जाँच किया जाता है।

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  15. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण व्यक्ति के जीवन की आधारशिला है। एवं शिक्षक की छात्रों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  16. Aur samajik Guru ka hamare Jeevan mein bahut mein tu hai ke gunon se hamare Aadarsh jivan ki Neem padati hai Aadarsh jivan ki Neem padati hai

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  17. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। जब छात्र स्कूल में प्रवेश लेते हैं, उनका संबंध विभिन्न परिवेश से आए छात्रों तथा शिक्षकों से होता है, जो उनके समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।व्यक्तिगत सामाजिक गुण छात्रों के जीवन के सभी पहलुओं को सीखने उनको व्यवहार में लाने में मदद करता है। इसमें शिक्षक का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षकों को अपने छात्रों की मनस्थिति जानकर उनको उचित सलाह देना, सहायता करना बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसे शिक्षकों के साथ छात्र अपने मनस्थिति, चाहे नकारात्मक ही क्यों न हो, साझा कर सकते हैं और शिक्षक से उचित सलाह पाकर अपनी सोच को सकारात्मक बनाने की कोशिश करते हैं। माध्यमिक स्तर की शिक्षार्थी किशोरावस्था के दौर से गुजर रहे होते हैं। किशोर शिक्षार्थी अपने साथियों से पहचान और प्रशंसा पाने की कोशिश में लगे रहते हैं। उनकी मनोदशा अत्यंत नाजुक होती है। ऐसे में शिक्षक एक मार्गदर्शक के रुप में आते हैं और छात्रों के मनोदशा को समझ कर उनकी हर संभव सहायता करते हैं, विभिन्न कैरियर विकल्पों के बारे में जानकारी देते हैं, उन पर सकारात्मक सोच डालने की कोशिश करते हैं, उनके व्यक्तित्व को आकार देने, उन्हें अपनी पहचान स्थापित करने में पूर्ण मदद करते हैं। इसी तरह शिक्षक माध्यमिक शिक्षार्थियों की भावनाओं को समझते हुए, सभी से स्वस्थ संबंध रखने में मदद करते हैं। उनको अपनी शिक्षा संबंधी गतिविधियों की ओर ध्यान केंद्रित करवाते हैं और अपने व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों की सर्वश्रेष्ठ विकास करने में मदद करते हैं।

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  18. एक व्यक्ति विशेष में सामाजिक गुण होने के कारण ही अपने समाज और विद्यालयी परिवेश में अलग छवि स्थापित कर सकता है। हर इन्सान व्यक्तिगत सामाजिक गुण आस पास के परिवेश में ही रह कर सीखता है जैसे,घर में माता पिता से,समाज में मित्र आदि से और विद्यालय में अध्यापक से सीखता है।

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  19. Yes,ek shikshak dwara chhatron me vyaktigat-samajik guno ka vikaas kiya ja sakta hai.shikshak dwara Mahapurushon ke sansmaran prastut karke and swayam(himself)adarsh vyavhaar prastut karke chhatron me in guno ka vikaas kiya ja sakta hai.

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  20. हमारे आसपास का परिवेश एक खुली पाठशाला है जो हमें सोचने, समझने और अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है और एक नई समझ विकसित करता है

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  21. माध्यमिक स्तर की शिक्षार्थियों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि माध्यमिक स्तर के छात्रों में भावनाएं विकसित होती है तथा वह एक दूसरे से ज्यादा प्रभावित होता है इस समय अगर उन्हें सही मार्गदर्शन मिले तो उनके अंदर सामाजिक गुण विकसित होते हैं और सकारात्मक भावनाएं आती हैं और इस समय वह ज्यादा शिक्षकों के संपर्क में रहता है


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  22. सामाजिक गुणों का सार्वभौमिक महत्व है इसमें कोई संदेह नहीं है व्यक्ति एक आदर्श नागरिक तभी बनता है जब उसके अंदर सदाचार हो मित्रता हो दया करुणा त्याग सहानुभूतिसहयोग की भावनासहयोग की भावना संवेदनशीलता मानवता कर्तव्य निष्ठा पर्व का जूता जैसे आधारभूतसामाजिक और नैतिक गुण हैं जो हमारे समाज को एक गतिशील प्राविधिक समाज बनाते हैं
    शिक्षा में वह सामर्थ्य है जो इन गुणों को विकसित करने में सहयोग कर सकती है इसके लिए कर्तव्य निष्ठा और आदर्श जो कि हमारे महापुरुषों से में प्राप्त होते हैं हमारे अंदर निहित होने चाहिए बच्चा जब स्कूल में आता है हमारा नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम उसके व्यक्तित्व को विकसित होने मेंअपनी पूर्ण क्षमता का प्रयोग करें इसके लिए हमें उन गुणों के आदर्श स्वयं प्रस्तुत करने होंगेजब खेलें तो उनके साथ खेलना जब वह पढ़ाई करें तो उनके साथ निरंतर उनका सहयोग करना जब वह कोई मंचन करें तो उनकी प्रशंसा करना जब कोई ऐसा कार्य करें कि जिसमें त्याग झलकता हो तो उसकी प्रशंसा करना और उन्हें महापुरुषों के जीवन की विशेषताओं से अवगत कराना उनके सामाजिक गुणों में वृद्धि करेगा जोकि उनके जीवन में बहुत ही प्रभावशाली भूमिका निभाएंगे एक आदर्श शिक्षक होने के नाते मेरा ऐसा निरंतर प्रयास बना रहता

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  23. हमारा दैनिक जीवन हमको कई बातें सिखाता है हमें कई लोगों से व्यवहार करना पड़ता है और सभी से हमको मदद मिलती है इनसे सम्पर्क और अंतर्क्रिया से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है इसलिए स्वच्छ सामाजिक वातावरण हमारे लिए ,शिक्षक और छात्रों सभी के लिए अति आवश्यक है

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  24. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत-सामाजिक गुण समाज व राष्ट्र निर्माण में सहायक है? हां वे सीखने में मदद करते हैं? हां शिक्षक को देखकर एवं उनका अनुसरण करते हैं

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  25. हमारे व्यक्तित्व का प्रभाव छात्रों पर भी पड़ता है जिसका सीधा प्रभाव राष्ट्र निर्माण पर भी होता है

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  26. हमारे सामाजिक गुण हमारे चरित्र का विकास करते हैं और एक शिक्षक का चरित्रवान होना उसका सबसे बड़ा गुण है

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  27. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण समाज के साथ सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं निश्चित रूप से अधिगम को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में शिक्षक इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है विद्यालय का परिवेश एवं बाहरी कारको में सामंजस्य स्थापना करके शिक्षक विद्यार्थियों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकता हैं l

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  28. खुशी होने से व्यक्ति की मनोदशा एक दम बदलजातीहैं।एक नई उमंग व जोश संचार होता हैं।प्रगतिशील कार्य को गति मिलती हैं।

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  29. हमारे सामाजिक गुण हमारे व्यक्तित्व का आईना होते हैं यह हमारी सोच को सकारात्मक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं समाज में हमारे दायित्वों का निर्वहन करने की प्रेरणा देते हैं । अतः माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में इन गुणों के विकास में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है जिससे विद्यार्थी समाज के साथ सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं और विद्यार्थियों को अपने बाहरी और विद्यालय में की जाने वाली गतिविधियों को करने के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकते है इसलिए सामाजिक गुणों का होना हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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  30. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण हर क्षेत्र के लिए अत्यावश्यक हैं।इसकी अनुपस्थिति में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं।शिक्षा में वह सामर्थ्य है जो इन गुणों को विकसित करने में सहयोग कर सकती है इसके लिए कर्तव्य निष्ठा और आदर्श जो कि हमारे महापुरुषों से में प्राप्त होते हैं हमारे अंदर निहित होने चाहिए बच्चा जब स्कूल में आता है हमारा नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि हम उसके व्यक्तित्व को विकसित होने मेंअपनी पूर्ण क्षमता का प्रयोग करें इसके लिए हमें उन गुणों के आदर्श स्वयं प्रस्तुत करने होंगेजब खेलें तो उनके साथ खेलना जब वह पढ़ाई करें तो उनके साथ निरंतर उनका सहयोग करना जब वह कोई मंचन करें तो उनकी प्रशंसा करना जब कोई ऐसा कार्य करें कि जिसमें त्याग झलकता हो तो उसकी प्रशंसा करना और उन्हें महापुरुषों के जीवन की विशेषताओं से अवगत कराना उनके सामाजिक गुणों में वृद्धि करेगा जोकि उनके जीवन में बहुत ही प्रभावशाली भूमिका निभाएंगे

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  31. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक ढंग से दिशा प्रदान करते हैं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में शिक्षक इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

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  32. Teacher is role model for students.

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  33. आज के समय सबसे तकलीफदेह बात यह है कि बच्चों में सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का विकास स्कूली शिक्षा के माध्यम से नहीं हो पा रहा है जिसके कारण संबंधों से भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया पैसा | इसमें सबसे अधिक जिम्मेदार शिक्षानीति , शिक्षाविद और स्वयं शिक्षक के साथ -साथ अभिभावक भी है
    आजादी के बाद आज तक किसी ने भी देश में समाज और परंम्पराओं के अनुकूल शिक्षानीति के विकास के बारे में विचार नहीं किया

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  34. बढिया शिक्षानीति ही सामाजिक एवं चारीत्रिक गुणों के विकास की आधारशिला है

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  35. खुशी कई कारणों से हो सकती है, लेकिन दूसरों की खुशी उनके सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक परिवेश के आधार पर हो सकती है।

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  36. हमारे जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण समाज में हमें पहचान दिलाते हैं। एक शिक्षक के व्यक्तिगत और सामाजिक गुण से माध्यमिक स्तर के सभी छात्र प्रेरित होते हैं ।उसे अपनाते हैं और उससे प्रभावित होते हैं।

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  37. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों से ही हम अपने समाज में अपनी पहचान बनाते हैं। दैनिक जीवन में हम हर किसी न किसी व्यक्ति से प्रेरित होकर अपने व्यक्तिगत गुणों को विकास करते हैं और समाज में रहकर सामाजिक कार्यों में समय व्यतीत करने से सामाजिक गुणों में बढ़ोतरी होती है। ठीक उसीतरह कहीं माइनों में
    माध्यमिक स्तर के बच्चे भी शिक्षक -शिक्षिकाओं के व्यक्तिगत गुणों से प्रभावित होकर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं।

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  38. मनुष्य में व्यक्तिगत सामाजिक गुण समाज में एक अलग पहचान दिलाता है । व्यक्तिगत सामाजिक गुण जैसे क्रोधी स्वभाव, निराशा, उदासी, अपराध बोध, असुरक्षा की भावना, नकारात्मक सोच बच्चों को सीखने में पीछे ढकेल देती है तथा सकारात्मक सोच, खुशी,आनंद, विनम्रता आदि बच्चों को सीखने की प्रेरणा देती है तथा वे बच्चें अच्छे से सीखते हैं।

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  39. व्यक्तिगत और समाजिक गुणों का विकास होने से विद्या लय में स्वस्थ वातारण निर्माण होता ह
    लय

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  40. विद्यार्थियों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है समाज में सुव्यवस्थित रूप से रहने के लिए अपनी पहचान बनाने के लिए किन गुणों का होना अत्यंत ही आवश्यक है इन गुणों से व्यक्ति की छवि समाज में प्रतिबिंबित होती हैं

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  41. व्यक्तिगत सामाजिक गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । ये सीखने की गति को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक रूप से दिशा प्रदान करते हैं ।
    शिक्षक विद्यार्थियों में इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । वह योग्य तथा कुशल नागरिक के रूप में विद्यार्थियों को तैयार कर सकता है तथा स्वस्थ परिवेश में विद्यार्थी का अधिगम अच्छा कर सकता है।

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  42. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण व्यक्ति के जीवन की आधारशिला है एवं शिक्षक अपने व्यक्तित्व कृतित्व द्वारा की छात्रों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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  43. व्यक्तिगत सामाजिक गुण सार्वभौमिक भूमिका निभाते है यह विद्यार्थी को समाज में एक मुकाम स्थापित करने में अहम भूमिका का निर्वहन करते हैं

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  44. व्यक्तिगत सामाजिक गुण विकसित करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह भी पाठ्य सहगामी क्रियाओं का हिस्सा है

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  45. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण हर क्षेत्र के लिए अत्यावश्यक हैं। इसके बिना हमें वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। छात्र- छात्राएं ये गुण अपने परिवार ,समाज और विद्यालय से सीखते हैं । विद्यार्थियों को जैसा परिवेश उपलब्ध होगा उसी से अभिक्रिया करके उनके व्यक्तित्व का निर्माण होता है एक विद्यार्थी का दिन का आधा समय विद्यालय में गुजरता गुजरता है विद्यार्थी शिक्षक और अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को फॉलो करने की कोशिश करते हैं और उनके जैसा बनने कपड़े पहनने कि उनकी इच्छा होती है इसलिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थियों को अच्छा माहौल दिया जाए जिससे उनके व्यक्तित्व में उच्च कोटि के मूल्यों का विकास हो सके वे समाज में एक उदाहरण के तौर पर स्थापित हूं और अपने देश अपने समाज अपने माता-पिता का नाम रोशन करें

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  46. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है छात्र कक्षा तथा समाज में इन सामाजिक गुणों के कारण ही सामंजस्य स्थापित कर पाता है तथा शिक्षक की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है वह स्कूल के प्रवेश और बाहरी प्रवेश के बीच सामंजस्य बिठाकर के विद्यार्थी को एक अच्छे नागरिक के रूप में तैयार कर सकता है

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  47. विद्यार्थी व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के कारण ही विद्यालय कक्षा तथा समाज में एक अच्छा स्थान प्राप्त कर सकता है और शिक्षा किस में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर एक अच्छा नागरिक बनने में उसकी मदद करता है

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  48. कक्षा कक्ष के वातावरण व गतिविधियों, सह शैक्षिक गतिविधियों केआयोजन द्वारा ,शिक्षक स्वयं के व्यवहार ,व्यक्तित्व से विद्यार्थियों के व्यक्ति गत व सामाजिक गुणों का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।और सुयोग्य नागरिक बनने मे मदद करता है।

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  49. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से ही एक समृद्ध समाज एवं देश का निर्माण होता है तथा यह गुण सीखने में मदद करते हैं इन गुणों के विकास में शिक्षक एवं समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो मिलकर एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करते हैं

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  50. गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक ढंग से दिशा प्रदान करते हैं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में शिक्षक इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है विद्यालय का परिवेश एवं बाहरी कारको में उचित सामंजस्य जिससे की स्थापना करके शिक्षक विद्यार्थियों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकता है एवं योग्य तथा कुशल नागरिक के रूप में विद्यार्थियों को तैयार कर सकता है स्वस्थ परिवेश में विद्यार्थी का अधिगम निश्चित रूप से इन गुणों के कारण सकारात्मक ढंग से सही दिशा की ओर ले जाया जा सकता है

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  51. कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों से ही समाज में अपना प्रमुख स्थान बना सकता है।

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  52. व्यक्तिक और सामाजिक गुण ही एक मनुष्य की प्रस्थिति और भूमिका का समाज में निर्धारण करते हैंं।

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  53. एक शिक्षक के लिए विद्यार्थियों की भावनाओं को समझना जरूरी है।व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास और अभ्यास में शिक्षक की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

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  54. हमारा दैनिक जीवन हमको कई बातें सिखाता है हमें कई लोगों से व्यवहार करना पड़ता है और सभी से हमको मदद मिलती है दूधवाला , नाई, धोबी . टेक्सी वाला आदि ऐसे कई लोग इसक उदाहरण है और इनसे सम्पर्क और अंतर्क्रिया से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है इसलिए स्वच्छ सामाजिक वातावरण हमारे लिए ,शिक्षक और छात्रों सभी के लिए अति आवश्यक है।

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  55. प्रत्येक छात्र जब विद्यालय आता है तब उसका पारिवारिक परिपेक्ष्य , व्यवहार और पूर्व ज्ञान अन्य छात्रों से सांझा करने पर उसमे सामाजिकता का विकास , सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक गतिशीलता प्रदान करता है।

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  56. व्यक्तिगत- सामाजिक गुण विद्यार्थी के समग्र विकास मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।ये गुण जीवन के विभिन्न पहलुओं मे विद्यार्थियों के सीखने और उनके व्यवहार को प्रभावित करते है।माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों मे इन गुणों के विकास और अभ्यास मे एक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है।एक शिक्षक इस अवस्था मे विद्यार्थियों हेतु सकारात्मक वातावरण तैयार करते हुए उन्हें सकारात्मक अधिगम और व्यवहार की ओर अग्रसर करते है।उनका सहयोग करते है।

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  57. विद्यालय परिवेश में प्रवेश करने वाला बालक अपने साथ कई अनुभवों को लाता है इन अनुभवों को संवारने का काम विद्यालय के शिक्षक बालक के साथ स्वयं के अच्छे व्यवहार एवं सामाजिक गुणों के प्रदर्शन करके करते हैं इस प्रकार बालक का व्यक्तित्व निखरता ही है साथ ही बालक अपने साथियों से भी सामाजिक व्यवहार दिखता हैं

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  58. शिक्षक बच्चों को समाज से बेहतर संबंध स्थापित कर जीना सीखाते है।

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  59. व्यक्तिगत सामाजिक गुण सीखने में अपनी भूमिका निभाते हैं माध्यमिक स्तर पर शिक्षक अपने विद्यार्थियों में इस गुण को बढ़ावा दे सकते हैं

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  60. बच्चों के सामाजिक और व्यक्तिगत गुण विकसित करने में शिक्षक हमेशा महत्व्पूर्ण भूमिका निभाते हैं वे बच्चो को एक दूसरे से बात करना अपनी पर्सनेल्टी को विकसित करने मे प्रोत्साहित करते हैं

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  61. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से जीवन में सकारात्मकता आती है, नैतिक मूल्यों का विकास होता हैl
    निश्चित रूप से सीखने के लिए स्वस्थ वातावरण बनाते हैं
    इसके लिए शिक्षकों की अहम भूमिका होती है क्योंकि किशोरावस्था में बालक के मन पर विद्यालय में होने वाली गतिविधियों एवं वातावरण का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है

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  62. व्यक्तिगत सामाजिक गुण से नैतिकता का विकास होता है जो विधालय ओर समाज में एक सामंज्य बैठाते है! सामाजिक गुण हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं!

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  63. Teacher is very important role to development character of students

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    1. हमारा दैनिक जीवन हमको कई बातें सिखाता है हमें कई लोगों से व्यवहार करना पड़ता है और सभी से हमको मदद मिलती है दूधवाला , नाई, धोबी . टेक्सी वाला आदि ऐसे कई लोग इसक उदाहरण है और इनसे सम्पर्क और अंतर्क्रिया से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है इसलिए स्वच्छ सामाजिक वातावरण हमारे लिए ,शिक्षक और छात्रों सभी के लिए अति आवश्यक है

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  64. Teachers students ke vyaktigat,samajik ke Saath samanvaya karke adhigam suvidhajank banate hai

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  65. This comment has been removed by the author.

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  66. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही व्यक्ति को समाज में एक उचित स्थान प्रदान कराता है और सम्मान दिलाता है

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  67. विद्यार्थी के विकास में अध्यापक का एक महत्वपूर्ण रोल होता है

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  68. व्यक्तिक व सामाजिक गुणो के माध्यम से छात्रों में परिवश के साथ सामन्जस्य स्थापित करने में मदद मिलती है

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  69. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों के आधार पर ही हमे सामाजिक जीवन में पहचान मिलती हैं।
    एक शिक्षक छात्र में ये गुण विकसित करने में अहम भूमिका निभाता है।

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  70. सामाजिक व्यक्तिगत सामाजिक विकास विकास के कारण ही आत्मविश्वास आता है वह समाज में अपना स्थान बना पाता है

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  71. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है।दूसरों के हमारा व्यवहार हमारे इन्ही गुणों से बनता है।एक शिक्षक के रूप में छात्र छात्रा को समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहते हैं।

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  72. व्यक्तिगत व सामाजिक गुण हर किसी के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं जब हम बच्चों से अच्छा व्यवहार करते हैं positive तरीके से चीजें सिखाते हैं तो वो जल्दी सीखते हैं

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  73. सामाजिक गुणो के विकास के साथ ही बालकों मे सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है

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  74. विद्यार्थियो के व्यक्तिगत गुण उनके सीखने की प्रक्रिया पर प्रभाव डालते है यदि विद्यार्थि शांत, सरल व्यक्तित्व रखता है तो सीखना ज्यादा आसान होता है किसी भी परिस्तिथियों में जबकि क्रोध, आवेश और जटिल मानसिकता वाले व्यक्तित्व वाले विद्यार्थि अपेक्षाकृत कम सीख पाते है

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  75. हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही हमें एक सामाजिक प्राणी बनाते हे तथा हम अपने विध्यार्थीयों में सामाजिक गुण विकसित करके उन्हें देश का कर्तव्य निष्ठ नागरिक बनाते हे।

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  76. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक ढंग से दिशा प्रदान माध्यमिक स्तर के शिक्षक इन गुणों के विकास में सक्षम हैं

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  77. सामाजिक गुण व्यक्ति को बेहतर इंसान बनाते हैं। समाज में रहते हुए उपयोगी सदस्य के रूप में स्थापित करते हैं। माध्यमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों में इन गुणों यथा सहयोग सहकार नेतृत्व पहल करना संवेदनशीलता आदि का अभ्यास बालको को समाजोपयोगी बनाता है।

    शिक्षक को कक्षा कक्ष में गतिविधियों के माध्यम से इन सामाजिक गुणों के विकास पर ध्यान देना चाहिए।

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  78. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं

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  79. Yes, a teacher participates a great role to make characterised student for the nation

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  80. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महती भूमिका है । इसी के कारण व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है और एक निश्चित स्थान भी बनाता है । व्यक्ति की पहचान उसके पारस्परिक सामाजिक जीवन गुणों के कारण ही होता है।। सामाजिक गुणों के कारण ही युवक एक श्रेष्ठ नागरिक बनने की ओर अग्रसर होता है। यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक तादात्म्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । अतः सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित व पौषित करता है एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक दिशा प्रदान करते हैं । हर स्तर के विद्यार्थियों में शिक्षक इन गुणों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। समाजिक गुणों के आधार पर ही विद्यालय का परिवेश एवं बाहरी कारको में उचित सामंजस्य की स्थापना करके हम विद्यार्थियों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हुए उन्हें एवं योग्य बना सकते हैं । एक सकारात्मक, स्वस्थ परिवेश ही विद्यार्थी को अधिगम में श्रेष्ठ, ऊर्जावान व्यक्ति बना सकता है।

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  81. हमारे जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की माथी भूमिका होती है इसके माध्यम से ही हम समज में अपने व्यतित्व को निखार पते है । सीखाना निरंतर चलानेवाली प्रक्रिया है एवं इसमें यह मह्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है ।इसके माध्यम से शिक्षार्थी यो में सकारात्मक सोच विक्सित कर उने योग्य एवं कुशाल ऊर्जावान नागरिक बनाया जा सकता है

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  82. व्यक्तिगत सामाजिक गुण किसी भी व्यक्ति के समग्र विकास के लिए अति महत्वपूर्ण भाग होते , व्यक्तिगत सामजिक गुणों द्वारा ही व्यक्ति सामजिक जीवन के कौशल को सीखता है | हमारे जीवन में जितना महत्त्व किताबी शिक्षा का है व्यवहारिक रूप से उससे कही ज्यादा महत्त्व व्यक्तिगत सामजिक गुणों का है |

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  83. बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक परिवेश से बहुत प्रभावित होते है एवं टीचर्स बच्चों में ये गुण विकसित करने में अहम भूमिका निभाते है

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  84. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुण एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमारे जीवन में नित्य नए अनुभवों को सीखने और उन्हें साझा करने में हमारी मदद करते हैं। व्यक्तिगत सामाजिक गुणों जैसे परस्पर सहयोग, आपसी भाईचारा, एक दूसरे के लिए चिंता, प्रेम और सहिष्णुता आदि अनेकों ऐसे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास करने और उनका अभ्यास करने में शिक्षक एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर सकते हैं।

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  85. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति के सामाजिक गुणों के द्वारा ही कोई भी व्यक्ति अन्य व्यक्तियों अथवा सामान के साथ सामंजस्य बिठाने और आपस की समझ बूझ को विकसित कर पाता है। विद्यार्थियों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के विकास और उनके अभ्यास में एक शिक्षक बहुत ही प्रभावी भूमिका निभा सकता है। जिससे आगे चलकर व्यक्ति समाज और सहयोगियों के लिए फलदाई सिद्ध हो सकता है।

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  86. हमारे जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है व्यक्ति के सामाजिक गुणों द्वारा ही कोई भी व्यक्ति अन्य व्यक्तियों अथवा किसी वस्तु के साथ सामंजस्य बिठाने और आपस की समझ बूझ को विकसित करने में सफल हो पाता है उनके अभ्यास में एक शिक्षक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिससे आगे चलकर व्यक्ति समाज और अपने सहयोगियों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकता है

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  87. Social गुण होने के कारण ही अपने समाज और विद्यालयी परिवेश में अलग छवि स्थापित कर सकता है। हर इन्सान व्यक्तिगत सामाजिक गुण आस पास के परिवेश में ही रह कर सीखता है जैसे,घर में माता पिता से,समाज में मित्र आदि से और विद्यालय में अध्यापक से सीखता है।

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  88. These personal and social attributes differentiate one person from others. Plays crucial role in developing a personality

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  89. हमारे जीवन में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्णणभूमिका है।इन मूल्यों को समझ कर एक शिक्षक के रूप में भी अपने दायित्वों का निर्वहन ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं।विद्यार्थियों में इन गुणों का विकास कर उन्हे जिम्मेदार नागरिक बना सकते हैं।

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  90. It's very important for holistic development of students

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  91. व्यक्तिगत _ सामाजिक गुण हमारे दैनिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।स्वयं के समग्र व्यक्तित्व निर्माण के साथ ही समाज में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाने के लिए
    हमारे भीतर इन गुणों का होना नितांत आवश्यक है।
    माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों को भी यह गुण प्रभावित करते हैं एक शिक्षक के रूप में हमें अपने छात्रों में इन गुणों का समावेश करना चाहिए जिससे भी समाज व परिवार में सभी के साथ सामंजस्य बना सकें और एक सुखी जीवन की आधारशिला तैयार कर सकें।यह गुण किसी को भी एक अच्छा नागरिक बनने एवं पारिवारिक कर्तव्य व सामाजिक दायित्व के उचित निर्वहन के लिए भी आवश्यक है।

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  92. व्यक्तिगत और समाजिक गुणों का विकास होने से विद्या लय में स्वस्थ वातारण निर्माण होता है

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  93. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास होने से हम समाज में एक सच्चे नागरिक की भूमिका निभा सकते है. इन्ही गुणों को धारण कर के हम घर विधालय एवं समाज में समरसता फेला सकते है.

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  94. हमारे जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का होना आवश्यक है जो हमें समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है

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  95. किसी भी व्यक्ति के जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विशेष महत्व होता है व्यक्तिगत विचारधारा के आधार पर व्यक्ति का व्यक्तित्व बनता है जो किसी भी कार्य में सहायक होता है सामाजिक गुण व्यक्ति को अंतर्संबंध दूसरों के प्रति आदर्श मान का भाव दूसरों के विचारों को सम्मान देना तथा अपने विचारों को सामाजिक दृष्टिकोण में अभिव्यक्त करना सिखाता है विद्यार्थी के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के विकास में शिक्षक की महती भूमिका है वही अपने विद्यार्थी को समाज के प्रति एक दृष्टिकोण देता है।

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  96. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह गुण विद्यार्थी को समाज के साथ उचित एवं सकारात्मक सामंजस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं निश्चित रूप से सीखने को प्रभावित करते हैं एवं सीखने की प्रक्रिया को सकारात्मक एवं नकारात्मक ढंग से दिशा प्रदान माध्यमिक स्तर के सक्षम शिक्षक सक्षम कुशल कुशलक्षमता के रूप में सक्षम हैं। आंतरिक रूप से सही ढंग से तैयार किए गए टेक्स्ट में शामिल होने के लिए ये जरूरी है कि वे सही ढंग से अपडेट किए गए हों।

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  97. व्यक्तिगत सामाजिक गुण सीखने सिखाने हेतु अति महत्वपूर्ण है। इन्ही गुणों के कारण कोई नेता कोई वक्ता कोई शिक्षक कोई चोर बनता है।

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  98. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसके आधार पर हम समाज में सम्मान, पहचान और उचित स्थान प्राप्त कर पाते हैं|

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  99. हमारे दैनिक जीवन में इन गुणों से हम स्वयं का समाज का और देश का विकास कर सकते हे ।यह हर प्रकार से सीखने में मदद कर सकते हैं। शिक्षक शाला में इन गुणों से अपने बच्चों के व्यक्तित्व का विकास करते हैं।

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  100. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है यही गुण हमें एक दूसरे को समझने और अपने व्यक्तित्व के विकास में मदद करते हैं । इन गुणों के विकास में शिक्षक का एक अहम रोल है। शिक्षक बच्चों को एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने और सामाजिकता विकसित करने में सहायक होता है साथ ही छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व को निखारता है।

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  101. हमारे जीवन में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है।इन मूल्यों को समझ कर एक शिक्षक के रूप में भी अपने दायित्वों का निर्वहन ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं।विद्यार्थियों में इन गुणों का विकास कर उन्हे सफल बना सकते हैं।

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  102. हमारे जीवन में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है इन मूल्यों को समझ कर एक शिक्षक के रूप में भी अपने दायित्व का निर्वहन ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं। विधार्थियों में इन गुणों का विकास कर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बना सकते हैं।

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  103. माध्यमिक स्तर का विद्यार्थी में सामाजिक गुणों की नींव का बीजारोपण माता-पिता व शिक्षकों के द्वारा ही पूर्णरूपेण सम्भव है, अतः माध्यमिक शाला के शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील,जागरूक होना अतिआवश्यक है तभी वह विद्यार्थियों में धनात्मक सामाजिक गुणों को रोपित कर सकेगा।

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  104. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत,सामाजिक गुण ही समाज में हमारा व्यक्तित्व और समाज से हमारे व्यवहार व प्रतिक्रिया को तय करते हैं।स्टूडेंट्स को यह नैतिक संबल देना आवश्यक है क्योंकि इसी के आधार पर स्टूडेंट्स के सर्वांगीण विकास में सहायता मिलती है ।

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  105. Hamara Samaj vyaktigat aur samajik gone se hi chalta hai.parasparik vyawhar EK doosre Ki bhawnaaon ka aadar karna saammam karna,sukh dukhh me Saath Dena,sabhi dharmonke prati samman,ye sabhi Manav ke vyaktigat aur samajik gunon ko darshata Hai.

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  106. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की बहुत बड़ी भूमिका होती है हम व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के द्वारा अपने अच्छे व्यवहार से समाज में अपना स्थान बना पाते हैं। एक अच्छा व्यवहार और व्यक्तिगत गुण का व्यक्ति ही कुछ अलग करके सीखने के लिए प्रोत्साहित कर पाता है। माध्यमिक स्तर के बच्चों में शिक्षक अपने व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के द्वारा ही बच्चों को नैतिक शिक्षा सामाजिक शिक्षा आदि की शिक्षा देता है जो की बच्चों का समग्र विकास के मार्गदर्शन में सहायक सिद्ध होता है। यहां से बच्चों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित होते हैं और वह समाज में अपनी छवि बना पाता है।

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  107. हमारे जीवन में व्यक्तिगत गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है छात्रों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास करने के लिए शिक्षकों की अहम भूमिका होतीहै।

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  108. बच्चों के व्यक्तित्व विकास में शिक्षक की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।माता पिता के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षक का पडता है।शिक्षक की वेशभूषा, रहन -सहन,चाल-चलन सब कुछ विद्यार्थियों को प्रभावित करते हैं।

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  109. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की पहचान कर विद्यार्थियों के लिए अध्यापन योजना बनानी चाहिए |

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  110. व्यक्तित्व व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है उसका व्यक्तित्व ही उसको समाज में सम्मान और उत्कृष्टता प्रदान करवाता है।

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  111. दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का बहुत महत्व है | छात्र इन गुणों के आधार पर समाज में समन्वय स्तापित करता है और अपने कार्य वयवहार से अपनी पहचान बनाता है | शिक्षक , छात्रों में इन गुणों का विकाश करता है|टीचर स्कूल में इन गुणों को पोषित करता है |

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  112. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास माध्यमिक स्तर के बच्चों सबसे तेजी से होता है । शिक्षकों की भूमिका इन गुणों को विकसित करने में सर्वाधिक होती है बच्चों में तीव्र गति से हो रहे बदलावों को सही सकारात्मक सोच के साथ आगे अच्छे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों में बदलने में मदत करने का दायित्व शिक्षक का है

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  113. Samajik Jeevan me Vaktikand samajik guro ka vishes Mahatta hai.

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  114. वैसे तो बालकों के सर्वांगीण विकास में ही शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं।अपने विद्यार्थियों के गुणों की पहचान कर के उन गुणों के रचनात्मक विकास में भी शिक्षक द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है।मैंने अपने उँचे और तगडे छात्रों को सेना और पुलिस विभाग की भर्ती के लिये प्रयास करने की सलाह दी. बच्चों ने सफलतापूर्वक सब किया।कुछ बालक बालिकाओं मे मैंने खेल भावना को देखा वे जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय खेल प्रतियोगिता मे जीत कर आए।नैतिक गुणों के विकास में बडी भूमिका निभा सकते हैं शिक्षक।

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  115. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है छात्र कक्षा तथा समाज में इन सामाजिक गुणों के कारण ही सामंजस्य स्थापित कर पाता है तथा शिक्षक की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है वह स्कूल के प्रवेश और बाहरी प्रवेश के बीच सामंजस्य बिठाकर के विद्यार्थी को एक अच्छे नागरिक के रूप में तैयार कर सकता है।
    हमें व्यक्तिगत -सामजिक गुणों की समझ को जानना अतिआवश्यक हैं।

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  116. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगिता होती है छात्र कक्षा परिवार और समाज में इन गुणों के कारण से सीअपना सामंजस्य बिठा सकता है



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  117. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही उपयोगिता है क्योंकि इसके द्वारा ही व्यक्ति अपने समाज के साथ सामंजस्य बिठा सकता है और उनमें फैली कुरीतियों को भी दूर कर सकता हैं।

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  118. personal and social characters are necessary for students

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  119. हमारे जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक और अहम स्थान रखते हैं इन्हीं के आधार पर समाज के लिए हमारी भूमिका तय होती है शिक्षण अधिगम मूल्यांकन प्रक्रिया में माध्यमिक स्तर पर यह गुण बेहद बेहद प्रभावी हैं उदाहरण के लिए सहयोग की भावना यदि शिक्षक शिक्षार्थी के मध्य सहयोग की भावना होगी तो प्रक्रिया अपेक्षित गति को प्राप्त कर सकेगी

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  120. छात्र को एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास आवश्यक है इस पर शिक्षक का बहुत योगदान होता है

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  121. शिक्षण के साथ-साथ एक शिक्षक का दायित्व बनता है कि वह अपने छात्रों में सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों का विकास करें केवल किताबी शिक्षा का मतलब ही शिक्षा नहीं है आयु अनुरूप सामाजिक एवं व्यक्तित्व निर्माण आवश्यक है

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  122. छात्रों में सामाजिक एवं नैतिक गुणों का विकास करना शिक्षक का महत्वपूर्ण दायित्व है नेशन ने वह अपनी भूमिका को लेकर के सदैव उत्साहित रहा है

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  123. दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है ।इसके कारण व्यक्ति समाज में सम्मानित होता हैं ।

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  124. शिक्षक को समाज का दर्पण कहा जाता है एक शिक्षक ही होता है जो स्कूल में आने वाले बालकों में सकारात्मक सोच का भाव भरता है राष्ट्र निर्माण में अच्छे राष्ट्र निर्माता तैयार करने का कर्तव्य कहीं ना कहीं शिक्षकों के हाथ में ही होता है एक अच्छे समाज की कल्पना करना शिक्षक के बिना असंभव है शिक्षक के द्वारा ही बालकों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का संचार किया जाता है इन गुणों के कारण ही हर नागरिक अपने स्वभाव को परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित कर पाता है अगर व्यक्तिगत और सामाजिक गुण का पाठ शिक्षकों के द्वारा विद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता तो एक अच्छे नागरिक बनना असंभव होता समाज में रहने के लिए समाज के कुछ नियम होते हैं उन नियमों को समझना और समझकर उसके अनुसार अपने कार्यों को संपादित करना बहुत कठिन होता है व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की समझ के कारण ही हम ऐसे समाज में अपना एक अस्तित्व अपनी एक पहचान अपने विचारों को प्रेषित करके बना पाते हैं राष्ट्र निर्माण में अच्छे राष्ट्र निर्माता बनने के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है।
    धन्यवाद
    Anjani Singh (उच्च माध्यमिक शिक्षक)
    शासकीय नवीन मानव कन्या उत्तर माध्यमिक विद्यालय जिला इंदौर

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  125. व्यक्ति की सामाजिक स्थिति क्या होगी यह उसके व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों पर निर्भर करता है. ये गुण उसके अंदर स्कूल और शिक्षकों के सहयोग से निर्मित होते हैं. अतः इन गुणों के विकास मे शिक्षा और शिक्षकों की महती भूमिका है

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  126. व्यक्तिगत सामाजिक सामाजिक गुण हमारे दैनिक जीवन की विभिन्न अंतरक्रियाओं के विनिमय व सकारात्मक अनुभवों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और शिक्षकों की इन गुणों के परिचय,पुष्टीकरण व निर्देशन में महती भूमिका है।

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  127. हमारे दैनिक जीवन मे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि समाज मे रहने के लिए कुछ नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है और ये नैतिक मूल्य विद्यार्थियों को शिक्षक से ही प्राप्त होते है अतः व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का पाठ शिक्षक द्वारा ही पढ़ाया जाता है क्योंकि यदि विद्यालय में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का विकास नही होता तो व्यक्ति इस समाज मे रहने योग्य भी नहीं होता

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  128. निश्चित रूप से इन गुणो की हमारे दैनिक जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण भुमिका है क्यों कि यही हमे अच्छा जीवन जीना सिखाते है।ये गुण सीखने मे बहुत मदद करते है ।शिक्षक इन गुणो को विकसित करने मे बहुत सहायक है क्योंकि छात्र शिक्षक के गुणो को ज्यादा आत्मसात करते है।

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  129. मानव एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक गुणों को शिक्षक से अच्छा कोई भी छात्र को नहीं बता सकता। छात्र शिक्षक पर पूर्ण विश्वास करते हैं इसलिए शिक्षक छात्र को सामाजिक व्यक्तित्व, नैतिक शिक्षा, और अपनी संस्कृति के बारे में बहुत अच्छे से बता सकता

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  130. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण विकसित करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है। माध्यमिक स्तर पर शिक्षक किशोरवय छात्र/छात्रा को व्यक्तिगत और सामाजिक मुद्दों के प्रति बेहतर तरीके से रहनुमाई कर एक अच्छे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।

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  131. हमारे व्यक्तिगत व सामाजिक गुण ही हमारे व्यवहार में परिलक्षित होते हैं।

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  132. हमारे सामाजिक व व्यक्तिगत गुण ही हमारे व्यवहार में परिलक्षित होते हैं।

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  133. Very understanding and effective way of teaching..

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  134. समाज मे स्वयं को स्थापित करने के लिए व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास आवश्यक हैं।विध्यर्थियो के इन गुणो का विकास करने में शिक्षक महती भूमिका निभाते हैं।

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  135. पर्सनल सोशल क्वालिटी बहुत जरूरी है छात्रों मे शिक्षक इनका विकास करने में सहायक है

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  136. व्यक्ति के आचार-विचार और व्यवहार उसके व्यक्तित्व का आइना होता है। और व्यक्तित्व के अनुसार ही समाज मे पहचान बना पाता है।
    एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी शिक्षक को निश्चित रूप से बालक काॅपी करता है।
    यहां शिक्षक कि भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है। नैतिक शिक्षा बहुत आवश्यक है।

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  137. शिक्षकों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि वही छात्रों में भी व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास करने में सक्षम होते हैं

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  138. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है| क्योंकि हमें अच्छा जीवन जीने के लिए बच्चों को व्यक्तिगत रूप से परिपक्व करना पड़ता है साथ ही सामाजिक गुणों का विकास भी होना अति आवश्यक है| शिक्षक इस कड़ी में मुख्य भूमिका अदा करते हैं|

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  139. व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है अतः छात्रों में नेतिक एवं सामाजिक दोनों ही गुणों का विकास आवश्यक है जो कि एक शिक्षक ही कर सकता है।

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  140. बच्चों में नैतिक गुणों का विकास उनके साथ खेलकर,उन्हें खेलों में भाग लेने के अवसर प्रदान करके,जिम्मेदारी उठाने के अवसर प्रदान करके कर सकता है। इस तरह बच्चों में सामाजिक गुणों को विकसित किया जा सकता है

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  141. Hamare Jeevan Mein vyaktigat evam Samajik donon ki jaroori Bhumika hoti hai Shikshak Apne Kartavya dwara kshatra ke Jivan mein Main ine gunon ka Vikas Krta hai

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  142. जी हां, हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। हैं वे सीखने में मदद करते हैं। जी हां, ये माध्यमिक स्तर के शिक्षार्थियों में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास और अभ्यास में शिक्षक भूमिका निभाते हैं। क्योंकि इस के माध्यम से ही हम विद्यार्थियों को समझ कर और अधिक प्रभावी तरीके से शिक्षण प्रक्रिया से जोड़ सकते हैं।

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  143. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास ही अच्छे जीवन का आधार है।

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  144. व्यक्तिगत सामाजिक गुण सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास में आवश्यक है।
    सामाजिक भावना का विकास होता है।

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  145. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण स्थान है व्यक्ति अपने इन्हीं गुणों के कारण समाज में सम्मान प्राप्त करता है ,परोपकार ,ईमानदारी, निष्ठा जैसे सकारात्मक सोच से परिपूर्ण व्यक्ति अपने आसपास के वातावरण को भी सकारात्मक सोच से परिपूर्ण बनाता है यदि किसी व्यक्ति में घृणा स्वार्थ जैसे नकारात्मक गुण हैं तो वह अपने आसपास के वातावरण को भी प्रभावित करेगा शिक्षक आदर्श तभी होता है जब वह अपने शिक्षार्थी को सकारात्मक सोच से परिपूर्ण बनाएं भविष्य को उज्जवल एवं आदर्श समय बनाएं

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  146. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से विद्यार्थियों में आपसी समझ विकसित होती है कक्षा 9:00 से 10वीं के बालक बालिकाओं में सीखने की क्षमताओं का एवं आपसी समझ विकसित होती है

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  147. Ghanshyam Kahara
    समाज में रहने के लिए कुछ नैतिक मूल्यों की आवश्यकता होती है नैतिक मूल्यों का व्यक्तिगत विकास ही समाज की दिशा को निर्धारित करता है और एक उन्नत समाज का निर्माण करता है।

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  148. एक बच्चे के जन्म के साथ साथ ही वह समाज के सामाजिक गुणों को ग्रहण करता चला जाता हैं और उनके अनुसार ही अपने व्यक्तिगत गुणों को भी आत्मसात करता जाता हैं।
    शिक्षक उसके सामाजिक परिवेश व्यवहार गुणों अवगुणों को समझकर उसके सर्वागीण विकास में अपनी समझ और व्यवहार से उसके व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों मेम परवर्तन ला सकता है।
    और उसके दृष्टिकोण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण की ओर अग्रसर कर सकता है

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  149. छात्राओं में सकारात्मक सोच का विकास होगा तब ही विधार्थि सफलता पूर्वक अपना काम करेंगे एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के बाद सफलता से आत्मिक खुशी मिलेगी । यहीं से सफलता प्रारंभ हो जाएगी।

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  150. छात्रों के सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों के विकास में एक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  151. व्यक्तिगत सामाजिक गुण अधिगम मे सहायक होते हैं और इनके विकास मे शिक्षक की अहम् भूमिका होती है

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  152. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण हमारे सीखने में महती भूमिका निभाते हैं।इनसे हमारा व्यवहार निर्धारित होता है सीखने की गति और दिशा को भी प्रभावित करते हैं।
    इस सम्बन्ध में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो माध्यमिक स्तर पर और भी अधिक महत्व रखती है।

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  153. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुण बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यह व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा व सम्मान दिलाते हैं ।व्यक्ति समाज में लोगों के साथ उचित प्रकार से सामंजस्य स्थापित कर पाता है ।व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से व्यक्ति को सीखने में भी मदद मिलती है ।माध्यमिक स्तर के छात्र-छात्राओं में इन गुणों को विकसित करने में छात्र बहुत ही सहायक है क्योंकि छात्र शिक्षक को अपने आदर्श के रूप में देखते हैं।

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  154. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे दैनिक जीवन में महत्व आवश्यकता है इन गुणों से ही समाज में हमारा व्यवहार परिलक्षित होता है वह हमारा व्यक्तित्व और समाज हमारे व्यवहार को प्रतिक्रिया को तय करते माध्यमिक स्तर के शिक्षार्थियों में तार्किक संवाद परंपरागत अवधारणाओं के प्रति जिज्ञासा व तार्किक मत होता है छात्रों में गुणों के विकास से ही उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने सामंजस्य स्थापित करने में भी सहायता मिलती है और इसमें शिक्षक का महत्वपूर्ण रोल होता है

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  155. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण हर क्षेत्र के लिए अत्यावश्यक हैं।इसकी अनुपस्थिति में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। छात्र- छात्राएं ये गुण अपने परिवार ,समाज और विद्यालय से सीखते हैं ।निश्चित रूप से इन गुणो की हमारे दैनिक जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण भुमिका है क्यों कि यही हमे अच्छा जीवन जीना सिखाते है।ये गुण सीखने मे बहुत मदद करते है ।शिक्षक इन गुणो को विकसित करने मे बहुत सहायक है क्योंकि छात्र शिक्षक के गुणो को ज्यादा आत्मसात करते है।

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  156. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के कारण बालक परिवार ,समाज और परिवेश से जुड़ता है और वहां से दैनिक जीवन में नई- नई बातें , नए विचार खोजता है। एक शिक्षक होने के नाते बालक को ,परिवार समाज और परिवेश के माध्यम से व्यक्तिगत गुणों के साथ-साथ सामाजिक गुणों से भी उसके जीवन में निखार ला सकता है।

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  157. राष्ट्र निर्माण में अच्छे राष्ट्र निर्माता तैयार करने का कर्तव्य कहीं ना कहीं शिक्षकों के हाथ में ही होता है एक अच्छे समाज की कल्पना करना शिक्षक के बिना असंभव है शिक्षक के द्वारा ही बालकों में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का संचार किया जाता है इन गुणों के कारण ही हर नागरिक अपने स्वभाव को परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित कर पाता है

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  158. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,इन गुणों से ही हम उत्तरदायित्व, सामंजस्य, दूसरों की भावनाओं को समझकर समाज के विकास में योगदान प्रदान करते है। ये नैतिक गुण ही मानव को मानव बनाये रखते है।शिक्षक सदैव विद्यार्थी को इन गुणो को विकसित करने हेतू सतत प्रयत्नशील रहते हुए उन्हे कुशल नागरिक बनाता है।

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  159. समाज में सामंजस्य स्थापित कर स्वयं के गुणों को विकसित करना और समाज की उन्नती में अपनी भूमिका का निर्वाह करना ही व्यक्तिगत सामाजिक गुण है l

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  160. छात्राओं में नैतिक एवं सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है , जिन्हें कला के माध्यम से शिक्षा में शामिल किया जाएगा तब अध्ययन रोचक होगा।

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  161. हमारे दैनिक जीवन मे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है हमारे गुण ही समाज में हमारा व्यक्तित्व और समाज से हमारे व्वहार व प्रतिक्रिया को तय करते हैं। शिक्षकों के लिए छात्रों को यह नैतिक संबल देना आवश्यक है क्यों कि इसी के आधार पर छात्रों के व्यक्तित्व बनने मे सहायता मिलती है । शिक्षक बच्चों में नैतिक गुणों का विकास उनके साथ खेलकर,उन्हें खेलों में भाग लेने के अवसर प्रदान करके,जिम्मेदारी उठाने के अवसर प्रदान करके कर सकता है। इस तरह बच्चों में सामाजिक गुणों को विकसित किया जा सकता है

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  162. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है
    व्यक्तिगत सामाजिक गुण के माध्यम से ही समाज में स्थान प्रदान होता है
    शिक्षक इन गुणों को विकसित करने में ज्यादा सहायक होता है
    क्योंकि छात्र शिक्षक के गुणों को ज्यादा आत्मसात करते हैं

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  163. कृष्ण कुमार राजावत
    हाई स्कूल बिचोला
    हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही समाज में हमारा व्यक्तित्व निर्धारण करते हैं

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  164. श्रेष्ठ व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही व्यक्ति को समाज में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं। इसलिए व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है।

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  165. व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यक्ति के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक है शिक्षक इनके विकास में महतावपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  166. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका होती है क्योंकि इन्हीं की वजह से हम समाज में अपना अस्तित्व बना पाते हैं अपना जीवन सरलता से जी पाते हैं और अपनी एक पहचान बनाते हैं

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  167. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महती भूमिका है । इसी के कारण व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है और एक निश्चित स्थान भी बनाता है ।

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  168. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण ही हमारा व्यवहार ,संस्कृति और सभ्यता प्रदर्शित करते हैं।व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण ही हमारा व्यक्तित्व दर्शाते हैं ।इनके द्वारा ही हमारा नैतिक एवं चारित्रिक उत्थान होता है।

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  169. व्यक्तिगत और सामाजिक गुडों का मानव जीवन में होना बहुत जरूरी है

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  170. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है । इसी के कारण व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है और एक निश्चित स्थान भी बनाता है ।

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  171. व्यक्तिगत सामाजिक गुणो का विकास विद्यार्थियों मे एक आत्मविश्वास पैदा करता है जिससे उनमे परस्पर सहयोग लेने और देने, बेझिझक सीखने का गुण विकसित होता है ।माध्यमिक स्तर पर शिक्षक की भूमिका अति महत्तवपूर्ण है क्योंकि यहाँ विद्यार्थीयो के विचारों को सही दिशा देने की जरूरत होती है ।अभी तक वे अपने निर्णय लेने के लिए अभ्यस्त नही होते है ।
    Brijmohan Parihar Sr.Teacher GSSS22GB

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  172. निश्चित रूप से व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की विद्यार्थियों की जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय परिवार भी एक समाज का ही रूप होता है जिसमें छोटे बच्चे से लेकर बड़े बच्चे तक और माता पिता समान अध्यापक होते हैं जिनसे विद्यार्थी को व्यवहार करना होता है उसका उचित व्यवहार उसके जीवन का उद्देश्य तय करते हैं और इसमें शिक्षक अपनी भूमिका निभाते हैं कोई विद्यार्थी यदि व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से पीछे हट रहा है तो उसमे शिक्षक उसकी मदद करते हैं।

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  173. हां व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की हमारे जीवन में महत्व भूमिका है क्योंकि यह हमारे समाज के प्रति हमारे कर्तव्य निभाने में मदद करते हैं इस प्रयास में शिक्षक बच्चे के लिए महत्वपूर्ण दिशा निर्धारित कर सकता है एक सकारात्मक माहौल बनाकर वह शिक्षार्थी की मदद करता है व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए नई-नई चीजें सीखने की आवश्यकता होती है अतः व्यक्तिगत सामाजिक गुण बच्चे सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं

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  174. व्यक्तिगत और सामजिक गुण हर व्यक्ति के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं जो उसे निजी जीवन में प्रगति के पथ पर ले जाते हैं तथा वह समाज और देश के विकास में भी अपना योगदान देता है | इनका विकास विद्यार्थी जीवन में ही होता है | अतः
    शिक्षक का कर्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थियों में इन गुणों का विकास करें |

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  175. निश्चित रूप से व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों से एक स्वस्थ आदर्श इमानदार छात्र का निर्माण होता है व व्यक्ति को और सामाजिक गुण अपने परिवार और अपने स्कूल से ही सीख सकता है

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  176. सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुण हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं।
    सकारात्मक विचार समाज एवम् बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है।

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  177. समाज मे हमारा स्थान जीवन मे प्रगति ऑफ आर्थिक सफलता इस पर निर्भर करती है

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  178. समाज के विकास के विकास के लिये व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों का होना अनिवार्य है ।

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  179. इन गुणों के कारण ही व्यक्ति समाज मे सम्मानित होता है| ये गुण सीखने की प्रक्रिया की आधारशिला है|

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  180. हमारे जीवन में समाज मे 1रहने और विद्यालय परिसर में नैतिक मूल्यों का होना आवश्यक है जिससे सम्मान और कार्यो को सकुशल किया जा सके

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  181. सामाजिक गुणों के कारण ही संगंठन सफल ता मिलती है

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  182. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर बाल मन नैतिक मूल्यों को जल्दी सीखता है इनसे हमे समाज में सफ़लता मिलती हैं

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  183. हमारे जीवन में नैतिक सामाजिक मूल्यों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यह समाज में हमें अपने कर्तव्य निभाने में मदद करते हैं यह सीखने में हमारी मदद किस प्रकार करते हैं क्योंकि व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करने के लिए नई-नई चीजें सीखना चाहता है इससे में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि वह बच्चे को अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करने का मार्ग दिखाता है

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  184. प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में इन गुणों की महत्ता होती है। छात्र शिक्षक इनसे एक दूसरे के दृष्टिकोण को समझते हैं। संवेदनशील बनते हैं। व्यक्ति के दृष्टिकोण का विस्तार होता है। एक दूसरे का सम्मान करना, भावना को समझना स्वाभिमान विकसित करना सीखते हैं।

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