कोर्स 01 : गतिविधि 5 - अपनी समझ साझा करें

आपकी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु प्राप्त होते  हैं? अपनी समझ साझा करें ।

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  1. अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिं

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    1. बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार काम दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है कुछ याद करने में कुछ लिखने में कुछ खेल कूद में इसलिए पाठयपाठ्य ऐसा होना चाहिए कि बच्चा धीरे धीरे सभी क्षेत्रों में अव्वल हो जाते। उसकी क्षमता को शिक्षक को समझना चाहिए एवं उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए।

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    2. सभी विद्यार्थियों की समझ व सीखने के स्तर विविध होते हैं अतः उनको कार्य भी स्तर के अनुसार ही दिया गया।

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    3. विधालय में अध्ययनरत् सभी बच्चों की सीखने की क्षमता और कौशल विकास अलग-अलग होती है इसलिए उनके सीखने की क्षमता अथवा दक्षता के अनुरूप पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण करते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जानी व शिक्षण की विधियाँ अपनायी जानी चाहिए । तथा समय समय पर उनके द्वारा अर्जित की गयी शिक्षा आंकलन या मूल्यांकन कर बच्चों की क्षमताओं का विकास करना चाहिए।

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    4. विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता भिंड भिंड होती है अत है त है पाठ्यचर्या का निर्माण करते समय बालकों के सीखने की क्षमता का ध्यान रखा जाए

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    5. in covid -19 time I connect with students by online like whatsapp chats ,videos,contents .by reaching home,give homework.

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    6. सभी छात्रों मे कुछ न कुछ विशेष होता है, उसकी कमजोरियो को समझकर , उसे सहज बनाकर, परिश्रम कर छात्रों का सर्वांगीण विकास करना चाहिए

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    7. Covid के दौरान हम whatsapp group में video's भेजकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते थे

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    8. We have adopted various methods and procedures to reach our students. Online mode of learning and sharing was the prominent. Door to door contact and involvement of our reachable students to reach others was also in practice.

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    9. सभी बच्चों की समझ, ग्रहण क्षमता, रुचिआदि अलग अलग होती है उसी के अनुसार पाठ्यचर्या होनी चाहिए।

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    10. सभी बच्चों की सीखने की क्षमता और विशेषताएँ अलग-अलग होती है पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण के समय इन बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उसी के अनुरूप पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जानी चाहिए । बच्चों की क्षमताओं को समझ कर उनका विकास करना चाहिए।

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    11. अध्यापको के लिए अहितकर

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    12. बच्चों की क्षमताओं के अनुरूप अलग - अलग कार्य योजना बनाकर शिक्षण कराना

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    13. Every child has a different learning ability and interst also. so intrest and potential should be taken into account and then they should be encoureged to develop in their keep that in mind for learning process.own field.so should be

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  2. आपकी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी

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    1. सभी बच्चों की सीखने की क्षमता और विशेषताएँ अलग-अलग होती है पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण के समय इन बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उसी के अनुरूप पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जानी चाहिए । बच्चों की क्षमताओं को समझ कर उनका विकास करना चाहिए।

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  3. सभी छात्र बच्चे सबको एक साथ उनकी क्षमताओं के अनुरूप सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए

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  4. सभी छात्र को एक समान सीखने का अधिकार प्राप्त होना चाहिए छमता के अनुसार

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    1. कक्षा के छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार ही कार्य देना चाहिए उन्हें उस कार्य के प्रति प्रेरित नहीं करना चाहिए जो उनके लिए जोखिम भरा हो जिनसे उन्हें शारीरिक अथवा मानसिक परेशानी हो...
      अच्छी कहानी थी जिसने हमें सोचने पर मजबूर किया...
      अच्छे मॉड्यूल के माध्यम से हमें सुदृढ़ करने के लिए आपका आभार साधुवाद..
      प्रदीप शर्मा MUNDRIA BARA भादरा ब्लॉक हनुमानगढ़ सेकंडरी स्कूल

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  5. स्कूल के सारे बच्चे को बतौर शिक्षक अच्छे से समझना चाहिए और उनके अंदर की विभिन्नता को समझते हुए क्लास में उनकी परेशानियों का निराकरण करें और करना चाहिए उनकी हर गतिविधि को समझना चाहिए

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  6. सबसे कमजोर बच्चे को समझ आ। जाए तो अच्छा बच्चा खुद समझ जाएगा

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  7. Every student have it's own quality then teachers have to understand there hidden quality and deliver to whole world and fly in sky

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  8. अपनी कक्षा की विविधता को समझते हुए सबसे कमजोर बच्चे के लिए पढ़ाया

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  9. सभी बच्चे अलग अलग कलाओं में माहिर होते हैं। हमे तुलना नहीं करनी चाहिए।

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  10. Interests and potential of each student should be taken into account and they should be encouraged to develop in their own field of interest.

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  11. कहानी में हमें बहुत सी ऐसी बातें पता लगती है जिससे हम जान सकते हैं की बच्चे की समझ के अनुसार हम अपनी कक्षा का विकास किस प्रकार से करेंगे।

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  12. सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण के समय इन बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उसी के अनुरूप पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जाती है और इन तैयार की गई पाठ्य पुस्तकों में शिक्षण अधिगम के प्रति फलों को और अधिक सक्षम और उत्कृष्ट बनाने के लिए शिक्षण सहायक सामग्री का उपयोग किया जाता है अतः विविध आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में शिक्षण सहायक सामग्री का विकास किया जाना चाहिए और उन सामग्रियों को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि हर बच्चा उस शिक्षण अधिगम सामग्री का स्वयं उपयोग करके सीख सकें

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  13. Every child has his own capacity and talent according to his surroundings and requirements so we should keep that in mind for learning process

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  14. सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग -अलग होती है साथ ही वे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते है। अतः उनकी क्षमता/दक्षता विकास के लिए अलग-अलग विधियों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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  15. सभी बच्चों की योग्यता अलग-अलग होती है योग्यता को और अधिक निखार ने के लिए कार्य करना चाहिए तो आप लोग वह अपने आने वाले समय में कर सके तथा सभी बच्चों पर एक ही प्रकार का नहीं करना चाहिए

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  16. बच्चों का मानसिक,शारीरिक,भावात्मक,सांस्कृतिक,सामाजिक शैक्षिक स्तर भिन्न -भिन्न होता है | इन स्तरों के अनुसार सीखने के प्रतिफल का चुनाव करना चाहिए जिससे कक्षा की विविधता के अनुसार शिक्षण सुगम हो सके | इस विविधता के अनुसार हमे अपनी दैनिक पाठचर्या बनानी चाहिए |

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  17. सभी विद्यार्थियों को एक साथ उनकी क्षमताओं के अनुसार सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए और कक्षा में विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य देना चाहिए शिक्षक को बच्चों के अंदर की विभिन्न नेताओं को समझते हुए कक्षा कक्ष में उनकी परेशानियों का निराकरण करना चाहिए और उनकी गतिविधियों को समझना चाहिए

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  18. सभी बच्चों के सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है उनकी क्षमताओं को मध्य नजर रखते हुएशिक्षण कार्य करना है ताकि कक्षा में विविधता के साथ-साथ समानता की अनुभूति प्राप्त हो l

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  19. सभी बच्चों की मानसिकता अलग-अलग होती हैं,योग्यता अलग-अलग होती हैं,इसलिए बच्चों के विकास को देखते हुए शिक्षण कार्य करवाना चाहिए

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    1. प्रत्येक शिक्षार्थी की योग्यता पृथक् - पृथक् होती है । जिस बात को हम सिखाना चाहते हैं उसको समझने और समझाने के तरीके भी अलग-अलग होने चाहिए ।

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  20. प्रत्येक शिक्षार्थी की योग्यता पृथक् - पृथक् होती है । जिस बात को हम सिखाना चाहते हैं उसको समझने और समझाने के तरीके भी अलग-अलग होने चाहिए ।

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  21. सभी छात्रों में व्यक्तिगत विभिन्नता को देखते हुए अध्यापन कार्य किया जाना चाहिए|

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  22. शिक्षक को बच्चों की क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य करना चाहिए तथा सभी विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार सीखने को प्रेरित करना चाहिए।

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  23. बच्चों की क्षमता और दक्षता के आधार पर उन्हें पढ़ाना चाहिए

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  24. शिक्षकों को इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि विद्यार्थियों की समझ के अनुसार अपने पढाने की विधि इस तरह बदलें जिससे सभी छात्रों की सहभागिता समान रूप से हो सके तथा सभी छात्रों को अपनी क्षमतानुसार समझ विकसित करने हेतु प्रेरित कर सके।

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  25. विद्यालय में हर बच्चा कि सीखने की क्षमता अलग अलग होती है अतः उन्हें उनकी क्षमता अनुरूप ही सिखाया जाना चाहिए है बच्चों पर आवश्यकता से अधिक भार नहीं दिया जाना चाहिए

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  26. कोरोना काल मे राजस्थान सरकार शिक्षा विभाग निदेशालय के निर्देशो की पालना करते हुए विद्यार्थियों से डिजिटल माध्यम SMILE 3.0 से शिक्षण सामग्री पहुचाई व घर घर जाकर ऑफ लाइन छात्रों को अध्यापन कोरोना गाइडलाइन की पालना में किया।

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  27. Sarkari result jobs1 August 2021 at 00:10
    सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण के समय इन बातों का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उसी के अनुरूप पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जाती है और इन तैयार की गई पाठ्य पुस्तकों में शिक्षण अधिगम के प्रति फलों को और अधिक सक्षम और उत्कृष्ट बनाने के लिए शिक्षण सहायक सामग्री का उपयोग किया जाता है अतः विविध आवश्यकता वाले विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में शिक्षण सहायक सामग्री का विकास किया जाना चाहिए और उन सामग्रियों को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि हर बच्चा उस शिक्षण अधिगम सामग्री का स्वयं उपयोग करके सीख सकें

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  28. बच्चों के सीखने का स्तर अलग अलग होता है इसलिए बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए

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  29. बच्चो की अलग अलग क्षमता होती है और उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार ही कार्य दिया जाना चाहिए

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  30. स्कूल के सभी बच्चों को बतौर अच्छे शिक्षक उनके अंदर की भिन्नता को समझते हुए उनके कार्य में आने वाली परेशानियों का निराकरण करते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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  31. प्रत्येक बच्चे का अधिगम स्तर अलग - अलग होता … उसी के अनुरूप कहानी के माध्यम स्व सिखाना चाहिये

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  32. Children should be taught according to their speeds, categories,choices and learning abilities.

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  33. Every child has his own pace of learning. Being a teacher we should create the physical atmosphere of inclusive learning so that each and every child would get benefitted.

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  34. बालकों को उनकी क्षमता के अनुरूप कार्य दिया जाना चाहिए l

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  35. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सीखने के अवसर प्राप्त होने चाहिए सभी बच्चे एक जैसी दक्षता में दक्ष नहीं होते हैं।

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  36. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार सीखने के अवसर प्राप्त होने चाहिए सभी बच्चे एक जैसी दक्षता में दक्ष नहीं होते हैं।उनकी व्यक्तिगत दक्षताओ को बढ़ावा देना चाहिए।

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  37. सबसे पहले तो हमें अपनी कक्षा के छात्र/छात्राओं की क्षमताओं और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी पता कर लेनी चाहिये।
    और उसी के अनुसार शिक्षण अधिगम कार्य करना चाहिये।

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  38. विद्यार्थियों को उनकी शारिरिक और मानसिक क्षमताओं के आधार पर सीखना चाहिए।

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  39. प्रत्येक शिक्षार्थी की योग्यता पृथक् - पृथक् होती है । जिस बात को हम सिखाना चाहते हैं उसको समझने और समझाने के तरीके भी अलग-अलग होने चाहिए ।

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  40. प्रत्येक बच्चे को अपनी समझ के अनुरूप कहानी के माध्यम से समझाया जाना चाहिए

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  41. हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है तथा हमें उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें कार्य देना चाहिए जिससे उसमें किसी भी प्रकार की हींन भावना का विकास ना हो ।

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  42. प्रत्येक बच्चे की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है। बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं, अघ्यापक को उनकी दक्षताओं को समझकर उनकी क्षमता अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए।छात्र कहानी पढ़ने में रुचि रखते हैं।छात्रों में कहानी की समझ विकसित करने के लिए उन्हें किसी विषय पर या चित्र देखकर कहानी लेखन के कौशल का विकास किया जा सकता है।

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  43. सभी विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है तथा पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम का निर्माण सभी विद्यार्थियों की अपनी-अपनी सीखने की क्षमता और दक्षता के आधार पर करना चाहिए और उन्हें सिखाते समय उनकी दक्षताओं को ध्यान में रखकर ही शिक्षण विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए जिससे अधिकतम अधिगम के प्रति फलों को प्राप्त किया जा सके

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  44. Every student is unique.So,its up to teachers how they make the learning process interesting for all students , keeping in consideration every students own interests and potentials

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  45. शिक्षक को बच्चों की योग्यता और क्षमता को समझते हुये स्तरानुसार कार्य देना चाहिए क्योंकि सभी बालकों की समझने व सीखने की योग्यता भिन्न भिन्न होती है।

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  46. कक्षा के छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार ही कार्य देना चाहिए उन्हें उस कार्य के प्रति प्रेरित नहीं करना चाहिए जो उनके लिए जोखिम भरा हो जिनसे उन्हें शारीरिक अथवा मानसिक परेशानी हो...
    अच्छी कहानी थी जिसने हमें सोचने पर मजबूर किया...
    अच्छे मॉड्यूल के माध्यम से हमें सुदृढ़ करने के लिए आपका आभार साधुवाद..
    शिवरतन शर्मा व्याख्याता राउमावि बुगलांवाली संगरिया

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  47. विविध योग्यताओं और विविध परिवेश के विद्यार्थियों को एक ही छत के नीचे एक ही पाठ्यक्रम पूरा करवाना होता है तो उनमें कुछ सामान्यीकरण हमें करने होंगे सभी को करना होगा जिसमें जो दक्षता ज्यादा है वो ओरो से आगे निकले गा और किसी से किसी दक्षता में पिछे भी रहेगा ध्यान सभी पर बराबर देना है सभी को अपनी अपनी गति से आगे बढाना है

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  48. कक्षा में बच्चों की क्षमता की अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। बच्चों की हर गतिविधि को समझते हुए उनकी परेशानियों का निराकरण करना चाहिए।

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  49. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए एवं उनका अध्यापक द्वारा पूर्ण सहयोग किया जाना चाहिए साथ ही उनको प्रोत्साहित किया जाना चाहिए

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  50. सभी विद्यार्थियों को इस सकारात्मक सोच के साथ अध्ययन कराना चाहिए कि हमें संघर्ष के बाद जो मिलता है उसका अपना महत्व है ' something is better than nothing ' क्योंकि जीवन में हर सीखी नई चीज का अपना महत्व है जो हमें स्वावलंबी बनाती हैं इसलिए जानवरों की कहानी से हम विधार्थियों को अधिकाधिक सीखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं

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  51. Each student is different from others so curriculum and curricular activities should be represent every students

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  52. जानवरों का विद्यालय कहानी से हमें बच्चों को something is better than nothingऔर स्वावलंबन का महत्व | साथ ही परिश्रम के बाद मिले हुए का महत्व बच्चों को समझाना चाहिए ।जीवन में हर नए सीखे हुए ज्ञान का महत्व समझाने का प्रयास करना चाहिए ।

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  53. Karuna Negi
    GIC PAITNA, Okhalkanda

    Each student is different from others so curriculum and curricular activities should be represent every students

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  54. विद्यालय की विविध कक्षाओं में अलग अलग तरह की क्षमताओं के बालक होते ही है l सभी छात्रों के अनुसार हमको अपनी पाठ योजना बनानी चाहिए l और सभी छात्रों को उनके अनुसार काम करने के , अध्ययन का सिखने का पर्याप्त अवसर मिल सके और सभी छात्र शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सके

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  55. बालक को उसकी नैसर्गिक प्रतिभा को निखारने का अधिकाधिक अवसर दिए जाने चाहिए

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  56. Kshamta anusar protsahit krna chahiye

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  57. कक्षा में सभी विद्यार्थियों को सीखने की क्षमता है अलग-अलग होती है । बच्चों की सीखने की क्षमता के अनुसार ग्रुप बनाकर उनका अधिगम करवाना चाहिए एवं सहायक शिक्षण सामग्री के द्वारा अध्यापन कार्य करवाएं तो उत्तम रहेगा

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  58. बच्चों में सीखने की समझ और कौशल अलग अलग होता है उसी अनुसार उन्हें काम दिया जाना चाहिए ताकि वह भविष्य में उस में पारंगत हो सके

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  59. बच्चों में सीखने की समझ और कौशल अलग अलग होता है और उसी के अनुसार उन्हें काम दिया जाना चाहिए ताकि वह भविष्य में पारंगत हो सके

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  60. बच्चों से उनकी अधिगम क्षमता के अनुसार प्रश्न पूछना

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  61. बच्चे जल्दबाजी न करे।

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  62. कक्षा में प्रत्येक बच्चे का मानसिक,शारीरिक,भावात्मक,सांस्कृतिक,सामाजिक शैक्षिक स्तर भिन्न -भिन्न होता है | इन स्तरों के अनुसार सीखने के प्रतिफल का चुनाव करना चाहिए व TLM का प्रयोग करते हुये कक्षा की विविधता के अनुसार शिक्षण करते हुये प्रत्येक बच्चे को उसके इच्छित क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये |

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  63. कक्षा में प्रत्येक बच्चे के सीखने की क्षमता और प्रतिभा अलग अलग होती है उसी के अनुरूप उपरोक्त विविधताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षण किया जाना चाहिए काकी बच्चे की क्षमता का संवर्धन और विकास किया जा सके

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  64. विद्यार्थियों को उनकी क्षमता के अनुसार प्रतियोगिता में समिलित करना चाहिए।

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  65. कोरोना महामारी के दौरान में अपने बच्चों के और उनके माता-पिता के फोन से संपर्क में रहा समय-समय पर उन्हें आने वाले होमवर्क और इस्माइल शिक्षा जैसी गतिविधियों के बारे में बताता रहा

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  66. सभी बच्चों की समझने की क्षमता अलग अलग होती है इसलिए कहानी को एक से अधिक बार दोहराना चाहिए ताकि सभी बच्चों को समझने मे आ सके

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  67. every child has its own interest of learning. So its our responsibility to find out their interest in that process of learning by doing and doing by learning. Both method must be adopted in the class without any discrimination.

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  68. बच्चों की विविधता को स्वीकार करते हुए उनकी क्षमताओं व रूचि अनुरूप शिक्षण अधिगम प्रकिया होनी चाहिए।

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  69. बच्चों को उनकी रूची अनुसार उनके अधिगम स्तर को समझते हुए अध्ययन करना चाहिए।

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  70. कोविड-19 के दौरान विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखने के लिए हमने घर घर जाकर शिक्षण सहयोग करने, व्हाट्स एप पर शिक्षण सामग्री एवं गृह कार्य देने, क्विज करवाने, गृह कार्य में सहयोग देने, दो-दो तीन-तीन विद्यार्थियों को शिक्षण व गृहकार्य में सहयोग करना आदि उपाय अपनाए हैं।


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  71. ROSHAN LAL GURJAR

    बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार काम दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है कुछ याद करने में कुछ लिखने में कुछ खेल कूद में इसलिए पाठयपाठ्य ऐसा होना चाहिए कि बच्चा धीरे धीरे सभी क्षेत्रों में अव्वल हो जाते। उसकी क्षमता को शिक्षक को समझना चाहिए एवं उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए।

    ROSHAN LAL GURJAR

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  72. आदरणीय मैडम आपकी बातें बहुत अच्छी हैं लेकिन विभाग को तो शत प्रतिशत परिणाम और वह भी गुणात्मक चाहिए। बेहतर होगा कि ये बातें विभाग को समझायी जानें।

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  73. बालको की क्षमताओ को समझना एंव उसके अनुरूप सिखाना । सिखाने की नई विधियो से समझाना।

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  74. बालकों की सीखने की क्षमता सबकी अलग-अलग होती है इसलिए बालक को और उसके सीखने की क्षमता को ध्यान में रख कर के उसे कार्य दिया ग

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  75. सभी बालकों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए बालक की क्षमता को पहचान करके ध्यान में रख कर के उसे कार्य दिया गया और उसी के अनुरूप उसे पढ़ाया गया

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  76. कक्षा मे छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य करना जो बच्चा जिस विषय में रुचि लेता है उसको उसी विषय मे पारंगत करना चाहिए ।

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  77. बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए उसको कार्य उसके अनुरूप ही दिया जाना चाहिए

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  78. प्रतीक बालक की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है उसकी क्षमता के अनुसार उसे कार्य दिया जाना चाहिए

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  79. प्रत्येक बच्चा किस ने किस क्षेत्र में अव्वल होता है उसको उस क्षेत्र में आगे बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। कोई भी चीज उसके पर जबरदस्ती नहीं थोपनी चाहिए।

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  80. बालकों की सीखने की क्षमता के अनुसार कार्य किया जाना चाहिए

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  81. सभी बच्चों में सीखने के भिन्न-भिन्न गुण होते हैं उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए

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  82. प्रत्येक बच्चें की सीखने की क्षमता अलग- अलग होती है उसकी क्षमता के अनुसार शिक्षण कार्य द करवाना चाहिए

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  83. मैंने छात्रों को वाट्सएप सेजोड कर क्लास वार ग्रुप बनाये एवम जो छात्र इसमे सम्मिलित नही हो सके उनके घर पर जाकर होमवर्क दिया। छात्रों को गूगल मीट के द्वारा के क्लास ली जाती हैं

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  84. बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ने देना चाहिए ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके

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  85. सभी छात्र छात्राओं को उनके कौशल व रुचि के अनुसार ही शिक्षण कार्य करवाना चाहिए

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  86. August 2021 at 03:35
    सभी विद्यार्थियों की समझ व सीखने के स्तर विविध होते हैं अतः उनको कार्य भी स्तर के अनुसार ही दिया गया बच्चों की सीखने की योग्यता के आधार पर उनके कार्यो का विभाजन किया जाना व उनका मूल्यांकन किया।

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  87. सभी विद्यार्थियों की समझ अलग अलग होने के साथ ही सीखने के स्तर भी विविध होते है।अतः उनको कार्य भी उनके स्तर के अनुसार ही दिया जावे।बच्चों की सीखने की योग्यता के आधार पर उनके कार्यो का विभाजन किया जाना चाहिए व उनका मूल्यांकन किया।

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  88. सभी बच्चों के सीखने के स्तर अलग होता है, उन्हें उन्हीं के अनुसार विभिन्न माध्यमो से पढ़ना चाइये। प्रयोग करके बच्चे अच्छे से सीख पाते हैं, इसलिए प्रयोगों के माध्यम से उन्हें सीखना चाहिए।

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  89. , सभी छात्र प्रतिभा के धनी होते हैं उनकी प्रतिभा को पहचान कर उनके रूचि के अनुसार उनसे शिक्षण कार्य कराया जाना चाहिए मूल्यांकन का आधार ही प्रत्येक छात्र का अलग अलग होना चाहिए योग्यता एवं रूचि के अनुसार

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  90. Each student's ability is unique and teacher should focus in developing that quality.

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  91. This story highlights the main problem of education system which is comparing students with each other....which is so wrong ...we should try to enhance every student's unique quality which can help him developing his personality...

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  92. कक्षा में सभी तरह के विद्यार्थी होते है। अध्यापक को सभी को साथ लेके चलना चाहिए । बच्चों की व्यक्तिगत भिन्नता का पूरा ध्यान देते हुए पूरे प्रयास करने चाहिए कि बच्चा अपनी समझ के अनुसार सीख सके।

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  93. सभी बच्चे प्रतिभा के धनी होते हैं।प्रतिभा को पहचान कर उनके रूचि के अनुसार उनसे शिक्षण कार्य कराया जाना चाहिए मूल्यांकन का आधार ही प्रत्येक छात्र का अलग अलग होना चाहिए योग्यता एवं रूचि के अनुसार

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  94. बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार काम दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है कुछ याद करने में कुछ लिखने में कुछ खेल कूद में इसलिए पाठयपाठ्य ऐसा होना चाहिए की बच्चा अपनी समझ के अनुसार सीख सके।

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  95. बच्चोंको उनकी क्षमता,रुचि और स्तर के अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए

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  96. The above module have given us the more clear concept about the integrated education as well the importance of curriculum for students

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  97. अनुसार काम दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है कुछ याद करने में कुछ लिखने में कुछ खेल कूद में इसलिए पाठयपाठ्य ऐसा होना चाहिए कि बच्चा धीरे धीरे सभी क्षेत्रों में अव्वल हो जाते। उसकी क्षमता को शिक्षक को समझना चाहिए एवं उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए।

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  98. विद्यालय में सभी छात्र छात्राओं की सीखने की क्षमता कौशल विकास अलग अलग होता है उनकी सीखने की क्षमता के अनुरूप ही पाठ्यक्रम निर्धारित होना चाहिए किसी बच्चे में कोई योग्यता होती है तो किसी में और हमें उनकी योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा ऐसा करने के लिए कक्षा में कहानियां या अन्य उदाहरणों का सहारा लेना चाहिए

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  99. विद्यालय में सभी छात्र छात्राओं की सीखने की क्षमता कौशल विकास अलग अलग होता है उनकी सीखने की क्षमता के अनुरूप ही हमें उनकी योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनके इन स्तरों के अनुसार सीखने के प्रतिफल का चुनाव करना चाहिए व TLM का प्रयोग करते हुये कक्षा की विविधता के अनुसार शिक्षण करते हुये प्रत्येक बच्चे को उसके इच्छित क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये | कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना

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  100. नमस्कार जी,
    मैने मेरे विद्यार्थियों से संपर्क सूत्र के माध्यम से जैसे मोबाइल फोन से संपर्क रखा एवम ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण कोरोना की पूर्ण सावधानियों को मद्देनजर रखते हुए उनसे मिलकर भी उनके शिक्षण को जाना और आगामी योजनाओं से उन्हे परिचित करवाते हुए उन्हें शिक्षा से जोड़े रखने का प्रयास किया

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  101. विधालय में अध्ययनरत् सभी बच्चों की सीखने की क्षमता और कौशल विकास अलग-अलग होती है इसलिए उनके सीखने की क्षमता अथवा दक्षता के अनुरूप पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण करते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तक के तैयार की जानी व शिक्षण की विधियाँ अपनायी जानी चाहिए

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  102. बालकों के समूह बनाकर व्हाट्सएप से जोड़ा गया उनसे घर-घर संपर्क कर गृह कार्य दिया गया संकलन किया गया एवं उनको उनकी गति से सीखने का पर्याप्त अवसर प्रदान किया गया

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  103. हमारी शिक्षा, प्रशिक्षण तथा शिक्षण का अनुभव यह है कि प्रत्येक कक्षा में अलग अलग क्षमता तथा रूचि के विद्यार्थी होते हैं। साथ ही विद्यार्थी भावनात्मक रूप से भी भिन्न होते हैं। उनमें इन भिन्नताओं कारण उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति, सामाजिक परिवेश, आनुवंशिक हो सकता है। इसके अलावा उनके जीवन या परिवेश में घटित कोई घटनाएं हो सकती हैं। अतः विद्यार्थियों की क्षमता, अभिरूचि ,सीमाओं को जानने के साथ साथ उसके कारण भी समझना होता है।
    इससे हमें बच्चों के मनोभावों वह व्यवहार को समझने में मदद मिलती है।
    इस तरह प्रत्येक विद्यार्थी की क्षमता, अभिरूचि सीमाओं वह मनोभावों की परख होने पर हम कक्षा कक्ष शिक्षण को समावेशी व अधिक प्रभावी बना सकते हैं और सीखने के प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं।
    इस प्रकार कोई बच्चा कितना ही सीमित क्षमता का क्यों न हो यदि विद्यालय का वातावरण, पाठ्यचर्या, शिक्षण प्रक्रिया उसे सहजता से समावेशित करता है तो वह निश्चित रूप से आगे बढ़ेगा और जीवन में सफलता प्राप्त करते हुए समाज और देश के लिए उपयोगी साबित होगा।

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  104. बच्चोंके छोटे छोटे समूह बनाकर उनकी क्षमता के अनुसार काम देना चाहिए

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  105. व्हाट्सएप में वीडियोस तथा टैक्स के माध्यम से पाठ्यक्रम को करवाया गया जिन बच्चों के पास फोन उपलब्ध नहीं था उन्हें नोट बनाकर अध्ययन के लिए प्रेरित किया गया

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  106. Every child has different abilities,capabilities and needs.So we should first know all these mentioned
    things in a child.Then we should teach and develop them in all the directions keeping in mind their all the needs, abilities and capabilities.

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  107. एनिमल स्कूल कहानी यह संदेश देने का प्रयास है कि हर हर बच्चा यूनिक है , बच्चों में विविधता पायी जाती है। शिक्षा देते समय हर बच्चे की प्रतिभा का ध्यान रखना होगा, उसे उसी और आगे बढ़ाया जाय जहां वह आसानी से और स्वाभाविक रूप स्व जा सके।एक बच्चे का गणित अच्छा हो सकता है तो दूसरे का ड्राइंग और तीसरे की काव्य रचने की दक्षता तो फिर इन तीनों को उन्ह क्षेत्रों में अवसर दिए जाने चाहिये।

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  108. एनिमल स्कूल कहानी के द्वारा यह संदेश देने का प्रयास किया गया है की हर एक बच्चे की अपनी अलग विशेषता और क्षमता होती है और उस बच्चे की उसी विशेषता और क्षमता को लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए और बच्चे को कक्षा स्तर तक लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। तथा नकारात्मक वार्तालाप द्वारा बच्चे को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए हमारा कार्य बच्चों के मनोबल को बढ़ाना है बच्चे के अंदर की झिझक को दूर करना है और उसकी दक्षता और क्षमताओं लेकर आगे बढ़ना है

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  109. प्रत्येक विद्यार्थी को उसकी शिक्षण अधिगम क्षमता व प्रतिभा के अनुसार ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए।

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  110. कोरोना काल में मोबाइल फोन के द्वारा ऑनलाइन कक्षा का संचालन कर विद्यार्थियों के संपर्क में रही। जिनके पास मोबाइल नहीं था उनके दोस्तों से बात कर अन्य विद्यार्थियों की कुशलक्षेम जाना।

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  111. बच्चों को उनकी प्रतिभानुसार ही कार्य दिया जाना चाहिए।

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  112. Student should learn according their age and physical ability

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  113. Bachchon ke saath kaam karte samay bachche me heen bhawna nahi aae, is baat ka vishesh Dhyan rakha jaana chahiye.kamzor warg ke bachchon ko vishesh protsahan dene se unme heenta ki bhawana samapt ho jaati hai.

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  114. Every child is different so the given work will be according to their I q level

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  115. प्रत्येक बच्चे में वैयक्तिक विभिन्नता रहती है ।
    हमें बच्चों को समझते हुए बच्चे के साथ सवांद करते हुए अपनापन देना चाहिए।प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर ,शारीरिक स्तर, रूचियाँ, परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसका सर्वांगीण विकास करेंगे। बच्चे की अच्छाई को उभारते हुए कमियों को सुधारते हुए पढ़ाई व विद्यालयी सहगामी क्रियाकलापो में intrest develop करेंगे।

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  116. कक्षा शिक्षण में बच्चों की रुचि का ध्यान रखा जाना चाहिए. शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए हमें बच्चों के मनोभाव को समझना अति आवश्यक है,प्रत्येक बच्चे की योग्यता व क्षमता भिन्न होती है, हमें उनकी क्षमता व योग्यता के अनुसार कार्य देना चाहिए,

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  117. व्हाट्व्ट्प एवं स्माइल-3के माध्यम से छात्रों से संपर्क में रहे व अध्यापन जारी रखा।

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  118. प्रत्येक बच्चे में वैयक्तिक विभिन्नता रहती है ।
    हमें बच्चों को समझते हुए बच्चे के साथ सवांद करते हुए अपनापन देना चाहिए।प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर ,शारीरिक स्तर, रूचियाँ, परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसका सर्वांगीण विकास करेंगे।

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  119. every student have their own quality try to improve their other abilities with the help of existing quality

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  120. इस कहानी से हम शिक्षक वर्ग को ये शिक्षा लेनी चाहिए कि हर विद्यार्थी की मानसिक और शारीरिक क्षमता एक क्षेत्र विशेष में एक सी नहीं होती।उनका मूल्यांकन उनकी विविध योग्यताओं और क्षमताओं के आधार पर होना चाहिए।तभी वे अपनी विशेष योग्यताओं को विकसित कर समाज में अपनी सम्भावना को सही दिशा व योगदान दे सकते है।

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  121. बच्चों को उनकी रूचि व कौशल के अनुसार ग्रुप बनाकर शिक्षण करवाना चाहिए. ताकि वो अपने क्षेत्र में अच्छा कर सकें शिक्षा के साथ व्यवसाय को जोड़ना चाहिए.

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  122. बालकों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य देना चाहिए ताकि उनका उनकी क्षमता के अनुसार मूल्यांकन और आकलन किया जा सके

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  123. कोरोना काल के दौरान मैने अपने छात्राओं के साथ फोन से सम्पर्क किया। whatsapp group बनाकर google Meet के द्वारा पढ़ाया। जिन बच्चों के पास Smart phone की सुविधा नहीं थी। उन्हें अन्य बच्चों के माध्यम से work sheet दिलाने का प्रयास किया।

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  124. बच्चों को उनकी रूचि व कौशल के अनुसार समूह बनाकर शिक्षण करवाना चाहिए

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  125. सभी बच्चो की क्षमता और रुचि एक जैसी नहीं होती है । इसलिए बच्चो की क्षमता और उनकी सीखने की रुचि को ध्यान में रखकर गतिविधि करवानी चाहिए ताकि बच्चा अपनी क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके इससे बच्चो का मनोबल बढ़ता है पर बच्चा विद्यालय आने को उत्साहित होता है

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  126. एनिमल स्कूल नामक शीर्षक कहानी को पढ़कर के यह आभास होता है कि एक कक्षा में विभिन्न बौद्धिक स्तर के छात्र-छात्राएं हो सकती है अलग-अलग छात्र-छात्राएं अलग-अलग विषयों में निपुण हो सकते हैं परंतु एक शिक्षक को समावेशी कक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी छात्र छात्राओं को एक स्तर तक लाने का प्रयास करना चाहिए जो छात्र छात्राएं किसी विषय में कमजोर है तो उन्हें अतिरिक्त समय दे कर के उन विषयों मैं उनकी सहायता करनी चाहिए यही एक अच्छे शिक्षक के गुण कहे जाएंगे अतः उक्त कहानी से यह भी ज्ञान प्राप्त होता है कि हमें सभी छात्र छात्राओं को एक साथ लेकर चलना होगा।

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  127. बच्चों को उनके स्तर के अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए।

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  128. कोविड-19 के दौरान हम बच्चों को व्हाट्सएप द्वारा है व घर-घर जाकर पढ़ाते थे

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  129. To know the ability of student nd to develop it

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  130. बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार काम दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है। कुछ याद करने में, कुछ लिखने में, कुछ खेलकूद में इसलिए पाठ्य क्रम ऐसा होना चाहिए कि बच्चा धीरे धीरे सभी क्षेत्रों में अव्वल हो जाते। उसकी क्षमता को शिक्षक को समझना चाहिए एवं उसका उत्साह वर्धन करना चाहिए।

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  131. बच्चों को उनकी दक्षता और रूचि के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वह उसमें अधिक रूचि और लग्न से बेहतर कर सकें क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है उन्हीं गुणों के कारण उनमें सीखने की रूचि बढ़ जाती है इसी रूचि के अनुसार पाठ्यचर्या की रूपरेखा का निर्माण होना ही बेहतर शिक्षा है ।

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  132. सभी बच्चे अपने आप में विशेष होते हैं ,प्रत्येक बच्चे में कोई न कोई कला जरूर होती है, और एक अच्छा शिक्षक वही हो सकता है जो उस कला को समझ कर प्रत्येक बच्चे पर ध्यान दे सकें।

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  133. किसी कहानी में उसके पात्र ही सबसे बड़े बिंदु होते है जो विविधता को समेटे होते हैं । पूरी कक्षा की विविधता के क्रिया बिंदु इन्ही में छुपे होते हैं । कहानी के राजकुमार में मेरा सबसे गरीब छात्र तादात्म्य स्थापित कर लेता है । क्योंकि मैं उसके साथ राजकुमारों जैसा बर्ताव करता हूं ।

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  134. बहुत अच्छी व सहायता पूर्वक जानकारी इस प्रशिक्षण के माध्यम से मिल रही हैं।
    GGSSS JW HMH

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  135. सभी विद्यार्थियों की समझ व सीखने के स्तर विविध होते हैं अतः उनको कार्य भी उनके स्तर के अनुसार ही दिया जाना चाहिए

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  136. समावेशी शिक्षा = booster for our education system

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  137. हर बच्चे को अपनी क्षमताओं को पहचानने और समाज में अपना स्थान बनाने के लिए सभी हम-उम्र बच्चों के साथ ही मौका मिलना चाहिए। लेकिन इस व्यवस्था का CWSN पर पड़ने वाले प्रभावों की भारतीय समाज में जांच करने के बाद ही यह व्यवस्था कायम की जाए तो बेहतर होगा क्योंकि हम व्यवस्थाओं को तो 360 डिग्री पर घुमा सकते हैं लेकिन जिसके साथ अन्यथा होगा उसकी जिंदगी को रिवर्स गियर नहीं लगा सकते हैं।

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  138. बच्चों को अपने क्षमता पहचाने के लिए एक और समाज में अस्थाई तौर पर स्थान बनाने के लिए कार्य करने चाहिए।

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  139. सबसे कमजोर बच्चे को ध्यान में रखते हुए अध्ययन करवाना

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  140. सभी विद्यार्थियों को उनकी रुचि के अनुसार शिक्षण कार्य करना चाइये।कक्षा का वातावरण इस तरह का होना चाइये की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो।ईर्ष्या का कोई स्थान न हो

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  141. हर बच्चे को अपनी क्षमताओं को पहचानने और समाज में अपना स्थान बनाने के लिए सभी हम-उम्र बच्चों के साथ ही मौका मिलना चाहिए। लेकिन इस व्यवस्था का CWSN पर पड़ने वाले प्रभावों की भारतीय समाज में जांच करने के बाद ही यह व्यवस्था कायम की जाए तो बेहतर होगा क्योंकि हम व्यवस्थाओं को तो 360 डिग्री पर घुमा सकते हैं लेकिन जिसके साथ अन्यथा होगा उसकी जिंदगी को रिवर्स गियर नहीं लगा सकते हैं।
    बच्चों को उनकी दक्षता और रूचि के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वह उसमें अधिक रूचि और लग्न से बेहतर कर सकें क्योंकि बच्चों में अलग अलग गुणों का समावेश होता है उन्हीं गुणों के कारण उनमें सीखने की रूचि बढ़ जाती है इसी रूचि के अनुसार पाठ्यचर्या की रूपरेखा का निर्माण होना ही बेहतर शिक्षा है ।
    एनिमल स्कूल नामक शीर्षक कहानी को पढ़कर के यह आभास होता है कि एक कक्षा में विभिन्न बौद्धिक स्तर के छात्र-छात्राएं हो सकती है अलग-अलग छात्र-छात्राएं अलग-अलग विषयों में निपुण हो सकते हैं परंतु एक शिक्षक को समावेशी कक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी छात्र छात्राओं को एक स्तर तक लाने का प्रयास करना चाहिए जो छात्र छात्राएं किसी विषय में कमजोर है तो उन्हें अतिरिक्त समय दे कर के उन विषयों मैं उनकी सहायता करनी चाहिए यही एक अच्छे शिक्षक के गुण कहे जाएंगे अतः उक्त कहानी से यह भी ज्ञान प्राप्त होता है कि हमें सभी छात्र छात्राओं को एक साथ लेकर चलना होगा।



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  142. सभी विद्यार्थियों को उनके सीखने की क्षमता के अनुसार शिक्षण करना चाहिए

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  143. सरल से कठिन & ज्ञात से अज्ञात की ओर शिक्षण श्रेष्ठ होता है।

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  144. सभी विधार्थियो को उनकी रूचि अनुसार अध्ययन कराने से उनके अध्ययन मे अभिवृद्वि लाती है !

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  145. बच्चों की क्षमता अनुसार अध्ययन कार्य कराना चाहिए

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  146. बच्चो को खेल और कहानियो के माध्यम से पढ़ने के लिए उनका ध्यान अध्ययन मे कराना !

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  147. बच्चो की प्रतिभा को ध्यान मे रख कर उनकी जिज्ञासा को और प्रेरित कराने का शिक्षण कराना !

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  148. Covid-19 के दौरान मैंने छात्रों को सर्वप्रथम व्हाट्सएप चैट के माध्यम से जुड़ा तथा सब्जेक्ट से रिलेटेड वीडियोस बनाकर उन्हें भेजें तथा समय-समय पर गूगल मीट ऐप के द्वारा भी बच्चों ऑनलाइन शिक्षण का कार्य किया.
    Covid-19 के दौरान शिक्षण कार्य कक्षा कक्ष में करना संभव नहीं था जिस कारण शिक्षण में बदलाव करके उसे ऑनलाइन माध्यम से कराने का प्रयास किया गया.

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  149. प्रत्येक विद्यार्थी के सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती है तथा प्रत्येक विद्यार्थी को अपने स्तर से भिन्न चीजों को सीखने--समझने में समय लगता है ।
    इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को कठिन चीजों को सीखने--समझने में सहायता करने के लिए विद्यार्थी के सीखने-समझने के स्तर का ज्ञान अवश्य होना चाहिए और विद्यार्थी के सीखने के स्तर से ही शुरू होना चाहिए

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  150. प्रत्येक बालक कुछ विशिष्ट योग्यताओं के साथ विद्यालय में आता है। एक शिक्षक के नाते हमें उसकी विशिष्टता को ध्यान में रखकर बालक को अधिगम अनुभव प्रदान करने चाहिए।

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  151. हर बच्चे का बौद्धिक स्तर अलग अलग होता है इस लीये स्थानीय ज्ञान से विषय वस्तु को जोड़ते हुवे पढ़ाया

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  152. Accept variations in class and adopt teaching methodsa to variations to bring out best of each student

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  153. बच्चों के सीखने की क्षमता का स्तर अलग अलग होता है ,इसलिए उनकी क्षमता के अनुसार कार्य दिया जाना चाइये

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  154. शिक्षक के लिए आवश्यक है (कक्षाकक्ष में) -
    असमताओं को दूर करने पर अधिक जोर हो, सभी के लिए न्यायोचित शिक्षा हो।बच्चे पर केंद्रित,जरूरत पर आधारित शिक्षा हो। सीखने की प्रक्रिया में हर बच्चे की प्रतिभागिता अधिकाधिक हो ।
    अध्यापक को –
    हर बच्चे की अनोखी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना होगा।बच्चे पर केंद्रित, सामाजिक रूप से प्रासंगिक और न्यायोचित पढ़ाने/सीखने की प्रक्रिया प्रदान करनी होगी।उनके सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भों में विविधता को समझना होगा, सराहना होगा और उसे सम्मान देना होगा।
    मिलकर काम करने के लिए सभी को प्रेरित करना होगा।
    *एक साथ सीखें और शिक्षण और सीखने की प्रणाली उपयुक्त रूप से अनुकूलित है।*

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  155. छात्रों की क्षमता को समझ कर उसके गुणों को जानकर उसे प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए लेकिन प्रोत्साहन निर्देश का रूप लेकर छात्र के मन को बोझिल न करें इसका ध्यान रखना चाहिए

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  156. सभी विद्यार्थियों की समझ व सीखने का स्तर विविध होता है अतः पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण करते समय इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए पाठ्यपुस्तक भी इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए

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  157. सभी विविधताओं का समावेशन करते हुए सभी को समान शिक्षा प्रदान करना उनकी क्षमताओं का ध्यान रखते हुए स्वयं को भी तैयार karna

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  158. Whatsapp group se joda aur jinke pas nhi h une offline kam dia aur krvaya

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  159. कक्षा के छात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार ही कार्य देना चाहिए उन्हें उस कार्य के प्रति प्रेरित नहीं करना चाहिए जो उनके लिए जोखिम भरा हो जिनसे उन्हें शारीरिक अथवा मानसिक परेशानी हो..

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  160. Baccho ko unke potential ke anusar adhyan karvana chaiy

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  161. क्रिएटिविटी कठिन है

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  162. ऑफ लाइन अपेक्षित

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  163. छात्र की समझ के आधार पर अध्ययन करवाना

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  164. बच्चों को उनकी क्षमता एवं रुचि के अनुसार काम दिया जाना चाहिए

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  165. बच्चो को उनकी क्षमताओं एवं रूचि अनुसार समूह बनाकर शिक्षण करवाना चाहिए जिससे वे अपनी क्षमताओं का विकास कर सके।

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  166. सभी छात्रों की योग्यता सभी विषयों में ,सभी क्षेत्रों में बराबर नहीं होती है । इस में समाज, परिवार, वैक्तिक भिन्नता होती है। इन बातो को ध्यान में रखते हुए छात्रों से व्याहार करना है, अपेक्षा रखनी है। जिस क्षेत्र में छात्र रुचि से आगे बढ़े उसे प्रोत्साहित करना चाहिए । यदि अध्यापक मन से छत्र को अध्यापन कराता है तो शिक्षण विधि स्वत: जन्म ले लेती है , हो सकता है शिक्षक को उस विधि का नाम नहीं पता हो , काम को मन, वचन , कर्म से पूरा करने वाले ,सदा ही सफल रहते हैं ।

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  167. विधालय में अध्ययनरत् सभी बच्चों की सीखने की क्षमता एवं कौशल विकास अलग-अलग होता है इसलिए उनके सीखने की क्षमता अथवा दक्षता के अनुरूप पाठ्यचर्या की रूपरेखा निर्माण करते समय इन बातों का विशेष रूप से ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम आधारित पाठ्यपुस्तकें तैयार की जानी व शिक्षण की विधियाँ अपनायी जानी चाहिए । समय समय पर उनके द्वारा अर्जित की गयी उपलब्धियों का मूल्यांकन कर बच्चों की क्षमताओं का विकास करना चाहिए।

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  168. कक्षा में भिन्न भिन्न क्षमता के बच्चे बच्चे होते है और उनकी भिन्न भिन्न रुचियां होती है लेकिन हमें कक्षा में विद्यार्थियों को इस विधि से पढ़ाया जाना चाहिए कि उसको उसमे रुचि पैदा हो सके। और वह उसको भलीभांति समझ सके। ताकि जो ये नई शिक्षा नीति का उद्देश्य है वो पूरा हो सके।

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  169. हर एक बच्चे की क्षमता व रुचि अलग अलग होती है उसी के अनुसार उन्हें अधिगम अवसर प्रदान करना चाहिए

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  170. Every student have god gifted special abilities teachers identify and try to improve it.

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  171. निम्न स्तर के छात्र को ध्यान में रखते हुए अध्ययन कराना। सभी के लिए लाभदायक होगा।

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  172. कक्षा में भिन्न-भिन्न क्षमता गुणों वाले बच्चे होते हैं, उनकी विशेषता, गुणों को पहचान कर पाठ योजना बनाना चाहिए एवं शिक्षण कार्य में यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के नैसर्गिक गुण एवं योग्यता में अभिवृद्धि हो सके साथ ही नई क्षमताओं का विकास हो सके

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  173. प्रत्येक बालक के सोचने व समझने की क्षमता अलग अलग होती है।

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  174. Sabhi bacchon ki sikhane ki kshamta alalag alag Hoti h,isliye unkonis hisab se Alan or mulyankan Kiya Jana chahiye

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  175. बच्चों की क्षमता और उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनना चाहिए, जिसके कारण विद्यार्थी उत्साह के साथ शिक्षा ग्रहण करें।

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  176. विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है अत है त है पाठ्यचर्या का निर्माण करते समय बालकों के सीखने की क्षमता का ध्यान रखा जाए

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  177. प्रत्येक छात्र के सोचने व समझने के क्षमता अलग अलग होती है।

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  178. Students are from diverse knowledge status and hence should not be treated same while teaching

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  179. प्रत्येक छात्र के सोचने व समझने की क्षमता अलग अलग होती है।

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  180. प्रत्येक बच्चे की क्षमता व रुचि भिन्न होती है अतः बच्चों को उनकी क्षमता व रुचि के अनुसार अधिगम के अवसर प्रदान करने चाहिए

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  181. All the students must get in touch with their students personally at their home keeping in view the attachment with them

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  182. बच्चो को उनकी क्षमता अनुसार गतिविधि करवानी चाहिए ।

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